केंद्र सरकार ने हाल ही में बताया कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) की दरों के सरलीकरण और रेशनलाइजेशन से खाद्य प्रसंस्करण (फूड प्रोसेसिंग) सेक्टर को महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा. इस क्षेत्र के अधिकांश उत्पाद अब 5% की रियायती दर के अंतर्गत आते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और उद्योग में स्थिरता आएगी. सरकार ने कहा कि कर संरचना में इस सरलीकरण से न केवल अनुपालन आसान हुआ है, बल्कि यह उद्योगों को दीर्घकालिक निवेश की योजना बनाने और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने में सहायक होगा.
उपभोक्ताओं के लिए खाद्य उत्पादों की कीमतों में कमी से मांग में वृद्धि होगी, जो विशेष रूप से एफएमसीजी और पैकेज्ड फूड कंपनियों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकती है. खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के मुताबिक, नई जीएसटी संरचना वर्गीकरण संबंधित विवादों को समाप्त करती है. जैसे कि पहले खुले और पैकेज्ड उत्पादों (जैसे पनीर या पराठा) पर भिन्न कर दरें लागू होती थीं, अब उनमें एकरूपता लाई गई है. इससे उद्योगों को न केवल अनुपालन में सहूलियत मिलेगी, बल्कि मुकदमेबाजी की संभावना भी घटेगी. इसके अतिरिक्त, सरकार ने रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को सरल बनाया है और रिटर्न फाइलिंग के साथ-साथ इनवर्टेड ड्यूटी क्लेम के प्रोविशनल रिफंड को भी सुलभ किया है.
जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना से भी उद्योगों को शीघ्र समाधान की सुविधा मिलेगी. मंत्रालय ने यह भी कहा कि कर दरों में कटौती और प्रक्रिया संबंधी सुधारों से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मांग, निवेश और रोजगार में वृद्धि की संभावना है. यह सेक्टर, विशेष रूप से MSME, अब बेहतर नकदी प्रवाह और कार्यशील पूंजी के साथ अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकेगा.
अंततः, सरकार को विश्वास है कि बढ़ती उपभोक्ता मांग, निवेश और खाद्य प्रसंस्करण इन्फ्रास्ट्रक्चर के विस्तार से किसानों और फूड प्रोसेसरों की आय में इजाफा होगा. इससे न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि शंघाई सहयोग संगठन जैसे बहुपक्षीय मंचों पर भारत की खाद्य सुरक्षा और वैल्यू चेन विकास के प्रति प्रतिबद्धता भी परिलक्षित होगी.