Randhir Jaiswal: हाल ही में भारतीय नागरिकों के रूसी सेना में भर्ती होने की खबर सामने आई थी, जिसपर विदेश मंत्रालय ने गंभीर चितां जाहिर की है. दरअसल, इस मामले में मीडिया के कुछ सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत सरकार ने पिछले एक साल में कई बार इस तरह की भर्तियों से जुड़े जोखिमों और खतरों को रेखांकित किया है और भारतीय नागरिकों को इसके प्रति सावधान रहने की सलाह दी है.
जायसवाल ने आगे कहा कि “हमें हाल ही में भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में भर्ती किए जाने की खबरें मिली हैं. ऐसे में हमने दिल्ली और मॉस्को में रूसी अधिकारियों के साथ इस मुद्दे को उठाया है, जिसमें इस प्रथा को समाप्त करने और हमारे नागरिकों को रिहा करने की मांग की गई है.” साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि मंत्रालय प्रभावित भारतीय नागरिकों के परिवारों के संपर्क में है.
मंत्रालय ने नागरिकों से की ये अपील
मंत्रालय के प्रवक्ता ने भारतीय नागरिकों से रूसी सेना में शामिल होने के किसी भी प्रस्ताव से दूर रहने की जोरदार अपील की और इसे ‘खतरों से भरा कदम’ बताया. जायसवाल का यह बयान उन खबरों के बाद आया है, जिनमें दावा किया गया कि कुछ भारतीय नागरिकों को धोखे से रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में भेजा गया.
जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल, एक प्रमुख अखबार में दावा किया गया कि पूर्वी यूक्रेन के डोनेट्स्क क्षेत्र में मौजूद दो भारतीय पुरुषों को निर्माण कार्य के बहाने रूस लाया गया, लेकिन उन्हें युद्ध के मोर्चे पर तैनात कर दिया गया. वहीं, नवंबर 2024 में रूस की ओर से कब्जाए गए सेलिडोव शहर से फोन पर बात करते हुए, उन्होंने दावा किया कि करीब 13 अन्य भारतीय भी ऐसी ही परिस्थितियों में फंसे हैं.
स्टूडेंट या विजिटर वीजा पर रूस गए थे दोनों भारतीय
रिपोर्ट के मुताबिक, ये दोनों भारतीय पिछले 6 महीनों में स्टूडेंट या विजिटर वीजा पर रूस गए थे. उन्होंने आरोप लगाया कि एक एजेंट ने उन्हें निर्माण क्षेत्र में रोजगार का वादा किया था, लेकिन धोखे से उन्हें युद्धक्षेत्र में भेज दिया गया.
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