इस राज्य में तेजी से फैल रहे हैं दिमाग खाने वाले कीड़े, अब तक ली 6 की जान, मचा हडकंप

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Kerala: केरल में फैले ब्रेन-ईटिंग अमीबा नामक घातक बीमारी से एक महीने के भीतर छह लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य में यह बीमारी तेजी से फैल रही है. बुधवार को 47 वर्षीय व्यक्ति की भी इस घातक बीमारी ने जान ले ली. स्वास्थ्य विभाग की माने तो इसे मिलाकर इस बीमारी छह लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं लगातार हो रही मौतों से स्वास्थ्य विभाग में हडकंप मचा हुआ है.

निगरानी और जन जागरूकता अभियान तेज़

अधिकारियों ने इस बीमारी के बारे में निगरानी और जन जागरूकता अभियान तेज़ करने के लिए प्रेरित किया है, जो आमतौर पर जलजनित अमीबा के कारण होती है. चिकित्सकों के मुताबिक यह बीमारी एक दुर्लभ और अक्सर जानलेवा मस्तिष्क संक्रमण है, जो इलाज के बावजूद तेजी से बढ़ रही है. मलप्पुरम जिले के चेलेम्परा चालिपाराम्बु निवासी शाजी की 9 अगस्त को हालत बिगड़ गई थी. इसके बाद उन्हे कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल (KMCH) में भर्ती कराया गया था.

अभी तक पता नहीं चल पाया संक्रमण का स्रोत

स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक शाजी को लीवर संबंधी बीमारियाँ थीं और इस दौरान निर्धारित दवाओं का उन पर कोई असर नहीं हुआ. स्वास्थ्य अधिकारियों ने बुधवार रात को शाजी के मौत की पुष्टि की. अधिकारियों ने कहा कि संक्रमण के स्रोत का अभी तक पता नहीं चल पाया है. बुधवार को 10 वर्षीय बच्ची और एक महिला की जांच के बाद मस्तिष्क संक्रमण की पुष्टि हुई है. इसके साथ ही स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि KMCH सहित विभिन्न अस्पतालों में एक महीने से अधिक समय से अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के कुल 10 मरीज़ों का इलाज चल रहा है, जिनमें से एक मरीज़ की हालत गंभीर बनी हुई है.

शिशु और नौ साल की बच्ची सहित छह मौतें

अमीबा के स्रोत का पता न लगा पाने के कारण राज्य खासकर उत्तरी क्षेत्र में संक्रमण को नियंत्रित करने के स्वास्थ्य अधिकारियों के प्रयासों में बाधा आ रही है, जहां पिछले एक महीने में तीन महीने के शिशु और नौ साल की बच्ची सहित छह मौतें हुई हैं. अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस एक गंभीर मस्तिष्क संक्रमण है जो एक मुक्त- जीवित अमीबा, जो अक्सर नेग्लेरिया फाउलेरी होता है, के कारण होता है.

संक्रामक नहीं है यह बीमारी

स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार यह जीवाणु दूषित मीठे पानी में तैरने या गोता लगाने पर नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है. फिर यह मस्तिष्क तक पहुंचता है जिससे सूजन और ऊतक विनाश होता है. यह बीमारी संक्रामक नहीं है और दूषित पानी पीने से नहीं फैलती. कुछ विशेषज्ञों ने मामलों में हालिया वृद्धि को जलवायु परिवर्तन और गहन पर्यावरणीय निगरानी से जोड़ा है.

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