टैरिफ को लेकर RSS प्रमुख मोहन भागवत ने दुनिया को दिया गहरा संदेश, कहा- ‘मैं-मेरा’ की स्वार्थी सोच से उपजे…

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Mohan Bhagwat tariff statement: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ को वैश्विक झगड़ों का प्रतीक बताया. इसके साथ ही उन्‍होंने एक गहरा संदेश देते हुए कहा कि ये टैरिफ ‘मैं-मेरा’ की स्वार्थी सोच से उपजे हैं, जो व्यक्तिगत से लेकर राष्ट्रों के स्तर तक विवाद पैदा करती है.

दुनिया को संदेश देते हुए मोहन भागवत ने कहा कि यदि हम सबको अपना मानें, तो कोई दुश्मन नहीं बचेगा और वैश्विक समस्याओं का समाधान ‘हम-हमारा’ की भावना से ही संभव है. आरएसएस प्रमुख का यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूसी तेल खरीद के बहाने भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के बीच आया है, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर दबाव बनाने का प्रयास माना जा रहा है.

लोगों को सता रहा इस बात का भय

भागवत ने कहा कि ‘हमारे मन में अपनापन है, तो सुरक्षा का प्रश्न नहीं है क्योंकि कोई भी हमारा बैरी नहीं है. लेकिन दुनिया में लोगों को डर लगता है कि यह बड़ा होगा तो मेरा क्या होगा, भारत बड़ा होगा तो हमारा स्थान कहां रहेगा, इसलिए टैरिफ लागू करो. 7 समुद्र पार आप लोग (अमेरिका) हैं, हम यहां हैं, कोई संबंध तो आता नहीं लेकिन डर लगता है, मैं-मेरा के चक्कर में यह सब बातें होती हैं.’

भारत ने अपने आप को पहचाना

उन्‍होंने आगे कहा कि ‘राष्ट्र के नाते भी भारत अपने आप को जानता है, भारत का कहना है कि हम एक बड़ा देश हैं, हमको बड़ा बनना है, भरपूर बनाना है, लेकिन किस लिए भरपूर बना है? हमारा काम क्या है? समय-समय पर यह जो मनुष्य के विचार में जो कमी होती है जोड़ने वाले तत्व की, आत्मा की, उसको पूरा करने के लिए हमको एक देश के नाते जीना है, बड़ा बनना है, इसलिए भरपूर बनना है. भरपूर बनकर क्या करना है? जो भरपूर है, उसको कम करके अपने को बड़ा करने में लगे रहते हैं, लूट-खसोट चलती है, आक्रमण करते है, अपनी शक्ति के मद में दुर्बलों को दबाते हैं, लेकिन भारत ने अपने आप को पहचाना है, हम इसके लिए नहीं है.’

भारत को देना है सारे विश्व को राहत

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि ‘भारत को सारे विश्व को राहत देनी है, इसलिए यहां अभाव में भी लोग सुखी रहते हैं. अभाव होना नहीं चाहिए, अभी है, बदलेगा तो बदलेगा, तो भी लोगों के पास संतोष है. सुविधा नहीं है, दुख है कष्ट है, लेकिन दुख कष्ट में भी एक कदम माल ढोने वाला अपनी गाड़ी को ढोते-ढोते उसे अवकाश मिलता है. जहां घने वृक्ष हैं उसकी छाया में अपने ठेला रखकर आराम से सो जाता है,  लेकिन करोड़ों रूपए कमाने वाले भी अन्य देशों में नींद की गोली लिए बिना नहीं सोते, संतोष धन हमारे पास है, क्योंकि यह अपनापन हमारे पास है. भारत पहले से भरपूर है, भारत सब कुछ है.’

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