SUPREME COURT : दिल्ली में पटाखों को लेकर पूरी तरह रोक के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) से जवाब मांगा है. बता दें कि पटाखा बनानें वाले कारोबारियों ने कोर्ट से याचिका दायर कर रियायत का अनुरोध किया है. इसके साथ ही इस मामले को लेकर अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी. इतना ही नही बल्कि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पटाखों से जुड़ा आदेश सिर्फ दिल्ली के लिए जारी होने पर भी सवाल उठाया.
प्राप्त जानकारी के अनुसार दिल्ली और उससे लगे शहरों में पटाखों की बिक्री और भंडारण पर पूर्ण रोक का आदेश राज्य सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख के चलते ही जारी किया था. लेकिन इस मामले को लेकर इंडिक कलेक्टिव और हरियाणा फायरवर्क मैन्युफैक्चरर्स नाम की संस्थाओं ने इसे चुनौती देते हुए कहा कि कई पटाखा कारोबारियों के पास 2027-28 तक का वैध लाइसेंस था. लेकिन पिछले आदेशों के कारण अदालत ने उन्हें रद्द कर दिया है.
ग्रीन पटाखों के उत्पादन और बिक्री की मांगी अनुमति
इस दौरान याचिकाकर्ताओं ने मांग करते हुए कहा कि उन्हें ग्रीन पटाखों के उत्पादन और बिक्री की अनुमति दी जाए और इसके लिए कोर्ट जो भी मानक तय करेंगे, हम उसका पालन करेंगे. लेकिन इसे लेकर कोर्ट ने ये भी जानना चाहा कि क्या यह मानक तय हो गए हैं? इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी का कहना है कि नेशनल इनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) ने इस मामले को लेकर जो कुछ शोध किया है. वह अगली सुनवाई में उसे कोर्ट के सामने रखेंगी.
चंद्रन की बेंच ने इस मुद्दे पर भी उठाया सवाल
इस मामले को लेकर चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि पटाखों से जुड़ा आदेश सिर्फ दिल्ली-एनसीआर तक क्यों सीमित है. ऐेसे में जजों ने भी सहमति जताते हुए कहा कि जो भी नीति हो, वह पूरे देश के लिए लागू होनी चाहिए. क्योंकि दूसरे शहरों को भी स्वच्छ हवा का अधिकार है.
सिर्फ दिल्ली के लिए नीति लागू होना गलत
कोर्ट सिर्फ इसलिए दिल्ली के लिए नीति नहीं बना सकता क्योंकि यहां देश का एलीट क्लास (अभिजात वर्ग) रहता है. उन्होंने कहा कि प्रदूषण की मार सबसे अधिक गरीब झेलता है. इसलिए सिर्फ दिल्ली के लिए नीति होना सही नहीं लगता. उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वह पिछले साल सर्दियों में अमृतसर गए थे. वहां प्रदूषण की स्थिति दिल्ली से भी बुरी थी.
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