Sergei Lavrov: रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अमेरिका की शुल्क और दबाव की राजनीति की कड़ी आलोचना की है. इसके साथ ही लावरोव ने उनके (ट्रंप) फैसले उन्ही पर भारी पड़ने की चेतावनी दी है. रूसी मंत्री ने सख्त लहजे में कहा कि भारत और चीन जैसी प्राचीन सभ्यताओं को धमकियों और अल्टीमेटम से डराया नहीं जा सकता है. अमेरिका द्वारा इन देशों से रूसी ऊर्जा खरीद बंद करने की मांग उल्टा असर डाल रही है.
विदेश मंत्री लावरोव ने अमेरिकी टैरिफ नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि “इससे देश नए ऊर्जा बाजार और संसाधन तलाशने पर मजबूर हो रहे हैं और उन्हें ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है.”
अमेरिका ने भारत पर लगाए ये आरोप
बता दें कि पिछले कुछ हफ्तों से डोनाल्ड ट्रंप और उनके शीर्ष अधिकारियों ने भारत को रूस से तेल खरीदने पर निशाना साधा है. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया है कि भारत यूक्रेन युद्ध को फंड कर रहा है. हालांकि उनके आरोप को भारत ने सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि उसका ऊर्जा आयात राष्ट्रीय हित और बाजार की जरूरतों पर आधारित है. वहीं, अमेरिका के रूख को लावरोव ने नैतिक और राजनितिक तौर पर गलत करार दिया.
नए प्रतिबंधों से चिंतित नहीं रूस
उन्होंने जोर देकर कहा कि “भारत और चीन प्राचीन सभ्यताएं हैं. उनसे इस भाषा में बात करना कि ‘या तो वह करो जो मुझे पसंद है वरना मैं शुल्क लगा दूंगा’ यह काम नहीं करेगा.” साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि रूस नए प्रतिबंधों से चिंतित नहीं है.
रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि “सच कहूं तो मुझे इन नए प्रतिबंधों में कोई समस्या नहीं दिखती. ट्रंप के पहले कार्यकाल में ही हमारे खिलाफ अभूतपूर्व स्तर के प्रतिबंध लगाए गए थे. हमने तब से सबक सीखा.”
किसी बाहरी दबाव पर आधारित नहीं भारत की ऊर्जा नीति
वहीं, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति का जिक्र करते हुए उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जो बाइडेन के कार्यकाल में प्रतिबंधों को कूटनीति का विकल्प बना दिया गया और समझौते की कोई कोशिश नहीं हुई. भारत ने अमेरिका की कार्रवाई को अनुचित, अन्यायपूर्ण और अव्यावहारिक करार दिया है. भारत का कहना है कि उसकी ऊर्जा नीति पूरी तरह राष्ट्रीय हित और बाजार की परिस्थितियों पर आधारित है, न कि किसी बाहरी दबाव पर.
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