Kinnaur cloudburst: हिमाचल के किन्नौर में कुदरत ने बरपाया कहर, बादल फटने से मची तबाही

Divya Rai
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Kinnaur cloudburst: हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में बादल फटने से भीषण तबाही मची है. बताया जा रहा है कि बादल फटने के कारण कई नालों में बाढ़ आ गई, जिसमें कई गाड़ियां बह गईं और घर-बगीचे तबाह हो गए.

Kinnaur cloudburst से भारी तबाही

दरअसल, किन्नौर जिले के निचार उपमंडल के थाच गांव में देर रात करीब 12:10 बजे बादल फटने से भयानक बाढ़ आ गई. तीन नालों का पानी उफान पर आ गया, जिससे खेत-बगीचे और आवासीय संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचा है. स्थानीय लोगों ने बताया कि जब बाढ़ का पानी गांव में आया तो घरों में मौजूद ग्रामीण दहशत की वजह से अपने घरों से भागे और उन्होंने जंगल में जाकर शरण ली.

घर ढहने की कगार पर

जानकारी के अनुसार, बाढ़ की चपेट में दो गाड़ियां बह गई हैं. इसके अलावा, मस्तान गांव में घरों के कुछ हिस्से और एक पशुशाला बाढ़ में बह गए. कई बगीचे नष्ट हो गए, जबकि रणवीर और तीन अन्य ग्रामीणों के घर ढहने की कगार पर हैं. इसके अलावा, राज्य की राजधानी शिमला में एडवर्ड स्कूल के पास भूस्खलन से यातायात बाधित हो गया और शहर की महत्वपूर्ण सर्कुलर रोड को बंद करना पड़ा. इसी बीच, कुमासरन के करेवाथी इलाके में एक तीन मंजिला घर ढह गया, जो राज्य भर में भारी बारिश के व्यापक प्रभाव को दर्शाता है.

अब तक 424 लोगों की मौत

अब तक मानसून से संबंधित आपदाओं में हिमाचल प्रदेश में 424 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि राज्य भर में नुकसान रोज बढ़ता जा रहा है. इस सप्ताह की शुरुआत में, 17 सितंबर को राज्य के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ और भूस्खलन से चार लोगों की मौत हो गई और छह लापता हो गए. साथ ही, 650 से अधिक सड़कें, जिनमें तीन राष्ट्रीय राजमार्ग शामिल हैं, अभी भी अवरुद्ध हैं. इसके अलावा, बिजली तथा पेयजल जैसी आवश्यक सेवाओं तक पहुंच बाधित हो गई है.

आपदा प्रभावित राज्य घोषित कर दिया

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश को आपदा प्रभावित राज्य घोषित कर दिया है और पिछले तीन सालों में कुल नुकसान 20,000 करोड़ रुपए से अधिक होने का अनुमान लगाया है. राज्य ने केंद्र सरकार से तत्काल वित्तीय सहायता और व्यापक राहत समर्थन की अपील की है. कुछ ही दिनों पहले 16 सितंबर को मंडी जिले के धर्मपुर में एक अन्य बादल फटने से भारी तबाही मची. कई एचआरटीसी बसें और निजी वाहन बह गए, और घर-दुकानें पानी में डूब गईं. स्थानीय लोगों ने इसे 2015 की बाढ़ से भी बदतर बताया, क्योंकि सोन नाला उफान पर आ गया और विशाल क्षेत्रों को पानी में डुबो दिया.

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