Iran Sanctions: ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर दिन-ब-दिन तनाव गहराता जा रहा है. दरअसल यूरोपीय देशों द्वारा संयुक्त राष्ट्र के पुराने प्रतिबंधों को दोबारा लागू करने की प्रक्रिया शुरू करने पर ईरान भड़क उठा है और इसी के चलते उसने ने जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन में तैनात अपने राजदूतों को तुरंत परामर्श के लिए वापस बुला लिया. ईरान का कहना है कि यूरोपीय देशों ने गैर-जिम्मेदाराना कदम उठाया है, जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता और बढ़ेगी.
यूरोप ने ईरान पर लगाया ये आरोप
दरअसल, पिछले महीने ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि ईरान ने अपने परमाणु वादों का पालन नहीं किया. ऐसे में ईरान को 30 दिन का समय दिया गया कि वह बातचीत से रास्ता निकाले, वरना एक दशक पुराने कड़े प्रतिबंध फिर से लागू हो जाएंगे. लेकिन ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन ने इसे अनुचित, अन्यायपूर्ण और गैरकानूनी करार देते हुए कहा कि बड़ी ताकतें सिर्फ बहाना तलाश रही हैं जिससे पूरा इलाका आग की लपटों में झोंक दिया जाए.
चीन-रूस की कोशिश भी नाकाम
हालांकि इन प्रतिबंधों को छह महीने तक टालने के लिए चीन और रूस ने सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव रखा, लेकिन इस दौरान 15 सदस्यों में से सिर्फ चार देशों ने ही समर्थन किया, जिसके चलते प्रस्ताव खारिज कर दिया गया. इससे ईरान और पश्चिम के बीच टकराव और तेज़ हो गया. इस मसौदे में जॉइंट कॉम्प्रिहेन्सिव प्लान ऑफ ऐक्शन(JCPOA) को अगले छह महीने तक के लिए बढ़ाने के साथ ही परिषद के प्रस्ताव 2231 (2015) को भी शामिल किया गया था, जिसने इसे मंजूरी दी थी. इसके अलावा, इसमें ईरान और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बीच सहयोग जारी रखने की भी बात थी.
क्या होंगे नए प्रतिबंध?
जानकारों के मुताबिक, यदि परमाणु कार्यक्रमों को लेकर समझौता नहीं हुआ तो सबसे पहले संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध लागू होंगे और फिर यूरोपीय संघ के. इनमें शामिल हैं:
- हथियारों पर रोक
- यूरेनियम संवर्धन पर प्रतिबंध
- परमाणु हथियार ले जाने योग्य मिसाइलों पर रोक
- संपत्ति फ्रीज और यात्रा पर पाबंदी
- ईरान एयर और ईरान शिपिंग लाइन्स की तलाशी का अधिकार
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