वैश्विक निवेश बैंक और वित्तीय सेवा कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत की औसत वार्षिक आर्थिक वृद्धि दर अगले 10 वर्षों में करीब 6.5% रहने की संभावना है. रिपोर्ट में यह भी संकेत दिया गया है कि यदि औद्योगिक उत्पादन और निर्यात क्षेत्र में अपेक्षित गति आती है, तो यह दर और अधिक ऊंचाई पर जा सकती है. मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक, भारत के निर्यात क्षेत्र में विकास की बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं, जिन्हें नीति-आधारित सुधारों और व्यापक रणनीतिक पैकेज के जरिए और बेहतर किया जा सकता है.
6.5% की दर से बढ़ेगी भारत की अर्थव्यवस्था
विश्लेषकों ने पहले बताया था कि जीएसटी सुधार के मध्यनजर FY26 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.5% की दर से तेजी से बढ़ेगी, जिसे लेकर पहले 6% की उम्मीद जताई गई थी. मॉर्गन स्टेनली ने भी सहमति के साथ कहा, हमारे अनुमान के अनुसार, अगले दशक में भारत की जीडीपी 6.5% से बढ़ेगी, जो दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगी। मॉर्गन स्टेनली ने उन स्टडी का हवाला दिया है, जिसमें पता चलता है कि मैन्युफैक्चरिंग एक्सपोर्ट से पैदा होने नौकरी से संबंधित सेक्टर जैसे ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक्स में दो और नई नौकरियां पैदा होती है.
मॉर्गन स्टेनली ने एक व्यापक सुधार पैकेज का दिया सुझाव
इस संदर्भ में, भारत को अपने निर्यात बाजार हिस्सेदारी को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर पेश करता है, जो वर्तमान में 1.8% है, जो कामकाजी आयु की आबादी और जीडीपी के अनुपात में काफी कम है. मॉर्गन स्टेनली ने एक व्यापक सुधार पैकेज का सुझाव दिया है, जिसमें पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विकास शामिल है. इसके अलावा, फर्म ने एक सिस्टैमेटिक अप्रोच की आवश्यकता पर जोर दिया, जो राज्य सरकारों को बिजनेस एनवायरमेंट को बेहतर बनाने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित करे कि लेबर फोर्स में स्किल्ड हो.
मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में नीति निर्माता रोजगार सृजन के लिए पहले से ही कदम उठा रहे हैं, लेकिन मौजूदा बेरोजगारी की चुनौती यह संकेत देती है कि इन प्रयासों की रफ्तार और तेज़ करने की ज़रूरत है. रिपोर्ट के मुताबिक, अगले एक दशक में देश की वर्कफोर्स में लगभग 8.4 करोड़ नए लोग शामिल होने की संभावना है, जो कि एक बड़ा सामाजिक और आर्थिक दबाव पैदा कर सकता है. रिपोर्ट में मध्यम अवधि की सबसे अहम चुनौती के रूप में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का ज़िक्र किया गया है. AI के कारण खासकर आईटी सर्विस सेक्टर और घरेलू सेवा क्षेत्र (डॉमेस्टिक सर्विस सेक्टर) में नौकरी सृजन की संभावनाएं घट सकती हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्लेषण से पता चलता है कि पार्टिसिपेशन रेट स्थिर रहने पर स्थिर बेरोजगारी दर सुनिश्चित करने के लिए 7.4% की औसत जीडीपी विकास दर की आवश्यकता होगी. रिपोर्ट के अनुसार, अगर हम पार्टिसिपेशन रेट को धीरे-धीरे बढ़ाकर 63% करने की अनुमति देते हैं, तो स्थिर बेरोजगारी दर सुनिश्चित करने के लिए 9.3% की औसत जीडीपी विकास दर की आवश्यकता होगी.