इस साल की पहली छमाही में डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) ब्रांड्स द्वारा रिटेल लीजिंग में सबसे अधिक हिस्सेदारी फैशन और परिधान ब्रांड्स की रही, जो कुल हिस्सेदारी का लगभग 60% है. यह जानकारी बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में सामने आई. इसके बाद होमवेयर और फर्निशिंग तथा ज्वेलरी ब्रांड्स ने 12-12% की हिस्सेदारी हासिल की, जबकि हेल्थ और पर्सनल केयर श्रेणी की हिस्सेदारी 6% रही. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2020 से 2022 के बीच कई डिजिटल-फर्स्ट ब्रांड्स ने तेज़ी से विस्तार किया. इसका प्रमुख कारण कोविड काल के दौरान ऑनलाइन खरीदारी में हुई उल्लेखनीय वृद्धि थी. अब ये ब्रांड्स ओमनीचैनल मॉडल की ओर बढ़ रहे हैं.
सीबीआरई की लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक, इन न्यू-एज ब्रांड द्वारा रिटेल लीजिंग का हिस्सा 2024 की पहली छमाही में 8% था, जो कि इस वर्ष की पहली छमाही में बढ़कर 18% हो गया है. यह बढ़त न्यू-एज ब्रांड्स के पॉप-अप, फ्लैगशिप आउटलेट्स और फ्रैंचाइज स्टोर का अधिक इस्तेमाल करने के साथ देखा गया है. सीबीआरई के इंडिया, साउथ-ईस्ट एशिया, मिडल ईस्ट अफ्रिका के चेयरमैन और सीईओ अंशुमन मैगजीन ने कहा, ऑनलाइन शॉपिंग बढ़ने के बावजूद भी फिजिकल खरीदारी लेनदेन का अधिकांश हिस्सा है, जिससे ओमनीचैनल ग्रोथ महत्वपूर्ण हो जाती है.
मॉल्स में 40% और स्टैंडअलोन स्टोर्स में14% की हिस्सेदारी की दर्ज
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि पहले केवल मॉल्स तक सीमित रहने वाले D2C ब्रांड्स अब अपने आउटलेट्स की लोकेशन को भी विविध बना रहे हैं. 2025 की पहली छमाही में इन ब्रांड्स की कुल रिटेल लीजिंग का 46% हिस्सा हाई स्ट्रीट लोकेशनों में रहा. इसके बाद मॉल्स में 40% और स्टैंडअलोन स्टोर्स में 14% की हिस्सेदारी दर्ज की गई. जनवरी से जून 2025 के बीच देश के सभी प्रमुख शहरों में दिल्ली-एनसीआर ने रिटेल लीजिंग में सबसे आगे रहते हुए 26% की हिस्सेदारी हासिल की. इसके बाद बेंगलुरु में 22% और हैदराबाद में 18% था.
CBRE इंडिया के लीजिंग सर्विसेज मैनेजिंग डायरेक्टर ने क्या कहा ?
सीबीआरई इंडिया के लीजिंग सर्विसेज मैनेजिंग डायरेक्टर राम चंदनानी ने कहा, ऑफलाइन मौजूदगी ब्रांड को पारंपरिक ग्राहकों तक पहुंचने और निचले स्तर के शहरों में अपनी पहुंच बढ़ाने में मदद करती है. उन्होंने आगे कहा, फिजिकल स्टोर ब्रांड के भरोसे और विश्वसनीयता को बढ़ाते हैं और ग्राहकों को प्रोडक्ट की क्वालिटी के बारे में आश्वस्त करते हैं. वे ब्रांड को एक खास शॉपिंग माहौल बनाने की भी सुविधा देते हैं. डिजिटल पहुंच और ऑफलाइन अनुभव का यह दोहरी भूमिका भारत में रिटेल ग्रोथ के अगले अध्याय को परिभाषित करने वाली होगी.
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