एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत की पूरी तरह से स्वदेशी 4जी टेक्नोलॉजी अब तक करीब एक लाख बीएसएनएल टावरों पर सफलतापूर्वक स्थापित की जा चुकी है और यह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में निर्यात के लिए तैयार मानी जा रही है. इंडिया नैरेटिव की रिपोर्ट बताती है कि यह तकनीक भारत के लिए विदेशी मुद्रा कमाने का एक प्रमुख जरिया बन सकती है और तकनीकी निर्यात के क्षेत्र में देश की हिस्सेदारी को उल्लेखनीय रूप से बढ़ा सकती है. इस घरेलू 4जी स्टैक के माध्यम से तेज और भरोसेमंद इंटरनेट स्पीड, स्थिर कनेक्टिविटी और उच्च गुणवत्ता वाला नेटवर्क सुनिश्चित किया जा रहा है.
विदेशी तकनीक पर घटती निर्भरता
यह सफलता भारत को उन गिने-चुने देशों की श्रेणी में लाती है, जिनके पास संपूर्ण टेलीकॉम स्टैक विकसित करने की क्षमता है, जिससे विदेशी तकनीक पर निर्भरता घटती है और देश की डिजिटल आत्मनिर्भरता को बल मिलता है. साथ ही, साइबर सुरक्षा जोखिमों को कम करती है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि यह सिस्टम सी-डॉट की कोर नेटवर्क टेक्नोलॉजी, तेजस नेटवर्क्स के रेडियो इक्विप्मेंट और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) द्वारा प्राप्त सिस्टम इंटीग्रेशन का इस्तेमाल करती है. इसे 5जी में अपग्रेड किया जा सकता है, जिससे भविष्य में दूरसंचार क्षेत्र में होने वाली प्रगति के लिए भारत की तैयारी बेहतर होगी और साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा को भी बल मिलेगा.
ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में बेहतर हुई कनेक्टिविटी
4जी स्टैक के परिचालन से ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में कनेक्टिविटी बेहतर हुई है, जिससे ब्रॉडबैंड कवरेज और समावेशन बढ़ा है. इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू स्तर पर एक पूर्ण 4जी स्टैक विकसित करना एक महत्वपूर्ण तकनीकी उपलब्धि है, क्योंकि टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर पारंपरिक रूप से विदेशी टेक्नोलॉजी सप्लायर्स, आमतौर पर अमेरिका, चीन, यूरोप और दक्षिण कोरिया पर बहुत अधिक निर्भर करता है. इस कॉम्प्लेक्स टेक्नोलॉजी में महारत हासिल कर देश एक महत्वपूर्ण निर्भरता अंतराल को पाटता है और टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त करता है जो इसके अधिकांश डिजिटल इकोसिस्टम का आधार है.
उच्च-स्तरीय कौशल वाली नौकरियों को मिलेगा बढ़ावा
इस सिस्टम की 5जी में अपग्रेड करने की क्षमता और 6जी की योजनाएं टेलीकॉम टेक्नोलॉजी में भारत के निरंतर नेतृत्व के लिए एक रोडमैप प्रदान करती हैं. सरकार और उद्योग जगत को आशा है कि उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) जैसी योजनाओं के समर्थन से दूरसंचार उपकरण निर्माण क्षेत्र में निवेश में बढ़ोतरी होगी, जिससे उच्च-स्तरीय कौशल वाली नौकरियों को बढ़ावा मिलेगा और एक मूल्य-वर्धित मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम विकसित हो सकेगा.