भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ऐसी संस्था नहीं है जिसे मनमाने तरीके से संचालित किया जा सके. इसमें किए जाने वाले हर निवेश के लिए सख्त नियम और कानूनी प्रावधान निर्धारित हैं. यह बात सोमवार को लॉ फर्म क्रॉफर्ड बेली एंड कंपनी के सीनियर पार्टनर संजय अशर ने कही.
अमेरिकी मीडिया आउटलेट द वाशिंगटन पोस्ट की ओर से एक आर्टिकल में तथ्यात्मक रूप से गलत, झूठे दावे और फर्जी नैरेटिव के जरिए LIC के अदाणी ग्रुप में निवेश के बेबुनियाद आरोप पर अशर ने कहा कि एलआईसी देश की सबसे बड़ी निवेशकों में से एक है और वह इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करती है.
एलआईसी कई वर्षों से कर रही कारोबार
अशर ने कहा, एलआईसी कई वर्षों से कारोबार कर रही है. यह भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) द्वारा विनियमित है. एलआईसी का अपना बोर्ड, निवेश समिति, नियम, विनियम, मानदंड और डेट एवं इक्विटी, दोनों ही रूपों में कई इन्वेस्टमेंट सॉल्यूशंस में निवेश के लिए नियंत्रण एवं संतुलन व्यवस्था है. यह कोई अस्थायी संस्था नहीं है। इसे किसी की मनमर्जी से नहीं चलाया जा सकता है.
एलआईसी पूरी जांच-पड़ताल के बाद पॉलिसीधारकों और शेयरधारकों, दोनों के पैसे निवेश करती है. अमेरिकी मीडिया आउटलेट की रिपोर्ट पर उन्होंने आगे कहा कि एक बार जब आप बड़े हो जाते हैं और एक अग्रणी व्यावसायिक या औद्योगिक घराना बन जाते हैं, तो जाहिर है कि हर कोई आपको देख रहा होता है और आपके काम में कोई न कोई खामी जरूर निकाल लेता है. अशर ने कहा, हालांकि, यहां अदाणी ग्रुप ने कुछ भी गलत नहीं किया है.
अशर ने कहा, ऐसा नहीं है कि सिर्फ एलआईसी अदाणी समूह में ही निवेशक है. जहां तक मैं समझता हूं, कई अंतर्राष्ट्रीय निवेशक हैं जिन्होंने अदाणी समूह की संस्थाओं के इक्विटी और डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश किया है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर जेएन गुप्ता ने कहा कि ऐसी रिपोर्ट्स के पीछे छिपा हुआ एजेंडा होता है. यह हमने शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के समय पर भी देखा था, जो कि बिल्कुल झूठी साबित हुई.
काफी जटिल है LIC का निवेश का प्रोसेस
उन्होंने आगे कहा, LIC का निवेश का प्रोसेस काफी जटिल है. केवल एक शीर्ष अधिकारी के बोलने से सरकारी बीमा कंपनी कोई शेयर नहीं खरीदती है, इसके लिए कड़े नियम हैं. LIC के निवेश के प्रोसेस पर विस्तार से बताते हुए गुप्ता ने कहा कि LIC किसी म्यूचुअल फंड, व्यक्तिगत निवेश या किसी विदेशी निवेशक के तरीके से निवेश नहीं करता है, क्योंकि बीमा पॉलिसी काफी लंबी अवधि की होती हैं तो इस वजह से सरकारी बीमा कंपनी 30-40 वर्षों तक के लिए भी निवेश करती है.

