श्मशान में वास करने वाली देवी गुह्य काली, जानें इनके रहस्यमय स्वरूप

Must Read

Maa Guhya Kali : हमारे हिंदू धर्म में गुह्य काली परम शक्ति का एक गुप्त रूप है, जिनके बारे में हर कोई नही जानता और न ही कोई इसके बारे में ज्‍यादा करता है. बता दें कि मां काली के इस रूप की पूजा अत्यंत गुप्त रूप से की जाती है. माना जाता है कि वह श्मशान के दिल में रहती है, जो सिद्धियों की प्रदाता और विघ्नों का नाश करने वाली हैं. इसके साथ ही इसका आह्वान मध्यरात्रि की पूजा में केवल वही लोग कर सकते हैं, जिन लोगों के पास कई तरह की तांत्रिक शक्तियां हैं.

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार तांत्रिक परंपरा में देवी काली के अनगिनत रूप का जिक्र किया गया है. इसमें महाकाली, दक्षिणा काली, श्मशान काली, भद्रकाली और कामकाली प्रमुख हैं. बता दें कि महाकाली संहिता में एक पूरा खंड गुह्य काली की पूजा, साधना और उग्र रूप को समर्पित है.

मां गुह्य काली भयानक निवास

शास्‍त्रों के अनुसार मां गुह्य काली आठ श्मशानों के बीच में निवास करती हैं. जिसमें महाघोरा, कालदंड, ज्वाला-कुल, चंड पाश, कापालिक, धूमाकुल, भीमांगरा और भूतनाथ शामिल हैं. यहां वह भैरवों, डाकिनियों, वेतालों, चामुंडों, सियारों, त्रिशूलों, शवों और खोपड़ियों से घिरी हुई है.

गुह्यकाली के यंत्र

बता दें कि 18 यंत्रों के माध्यम से मां गुह्य काली की पूजा की जाती है. माना जाता है कि हर एक यंत्र उनसे जुड़ा होता है. जिसमें पहला यंत्र एक बिंदू, त्रिभुज, षट्भुज, पंचभुज, वृत्त, 16 पंखुड़ियों, 8 पंखुड़ियों और त्रिशूलों के साथ 4 खोपड़ियों से सुसज्जित है.

अपने 10 मुख वाले रूप में मां गुह्यकाली का प्रतीक

  • द्वीपिका (तेंदुआ)
  • केशरी (शेरनी)
  • फेरू (सियार)
  • वानर (बंदर)
  • गजा (हाथी)
  • हया (घोड़ा)
  • रिक्सा (भालू)
  • नारा (स्त्री)
  • गरुड़ (बाज)
  • मकर (मगरमच्छ)

वैसे तो हर चेहरा प्रकृति की एक अलग शक्ति को दर्शाता है. ऐसे में माना जाता है कि मां गुह्य काली की 27 आंखे और 54 भुजाएं हैं और साथ ही प्रत्येक हाथ में एक हथियार है. जिसमें त्रिशूल, कपाल-दण्ड, डमरू, धनुष, चक्र, अंकुश, गदा, ढाल, हल, भाला, घंटी, हथौड़ा, माला, कंकाल आदि शामिल है.

इसके साथ ही उनका मानवीय चेहरा हंस रहा है, नुकीले दांतों से खून टपक रहा है, जीभ घूम रही है और उसके सिर पर खोपड़ियां और लाशें सजी हैं. बता दें कि मां गुह्य काली का यह रूप शिव के भयानक रूपों, पांच महाभूतों पर विराजमान हैं और भैरव उनके छठे पीठ हैं. उनके कमल सिंहासन के नीचे हर दिशा दिक्पालों द्वारा संरक्षित है और धर्म, ज्ञान, वैराग्य का प्रतिनिधित्व करती हैं.

इसे भी पढ़ें :- Tulsi Vivah 2025: तुलसी विवाह के दिन कर लें ये खास उपाय, विवाह में आ रही बाधाएं होंगी दूर

Latest News

6 से 8 तक के छात्र के सिलेबस में जोड़ा गया आयुर्वेद, दिनचर्या और स्वास्थ्य के सिद्धांत सीखेंगे बच्चे

Ayurveda Education : भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद अब स्कूलों के साइंस सिलेबस का हिस्सा बनेगी. प्राप्‍त जानकारी...

More Articles Like This