सीजनल फेस्टिव डिमांड, जीएसटी दरों में कटौती और मजबूत रिटेल व एमएसएमई गतिविधियों के चलते इस वर्ष मिड-अक्टूबर तक बैंक क्रेडिट ग्रोथ ने डिपॉजिट ग्रोथ को पीछे छोड़ दिया. केयर रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, 17 अक्टूबर तक कुल क्रेडिट सालाना आधार पर 11.5% बढ़कर 192.1 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया. इसके अलावा, फेस्टिव सीजन के दौरान मजबूत व्हीकल फाइनेंसिंग से समग्र क्रेडिट ग्रोथ को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. रेटिंग एजेंसी का कहना है कि यह वृद्धि बढ़ते बॉन्ड यील्ड के चलते कॉरपोरेट्स में बढ़ती रुचि के कारण देखी जा रही है.
रिपोर्ट के अनुसार, एग्रीगेट डिपॉजिट सालाना आधार पर 9.5% की वृद्धि के साथ बढ़कर 238.8 लाख करोड़ रुपए पहुंच गई. यह 1% की क्रमिक गिरावट को भी दर्शाती है. केयर एज रेटिंग्स के अनुसार, क्रेडिट-टू-डिपॉजिट रेश्यो वर्तमान 15 दिनों में 80% मार्क को पार करते हुए 80.4% हो गया. वर्तमान 15 दिनों में डिपॉजिट में गिरावट फेस्टिव सीजन में कैश निकासी और सर्कुलेशन में करेंसी के बढ़ने के कारण दर्ज की गई, जो कि सालाना आधार पर बढ़कर 1 लाख करोड़ रुपए हो गई. इसके अलावा, डिपॉजिट के घटने का एक और कारण बैंकों के रेट कटिंग साइकल में होना और निवेशकों का दूसरे विकल्पों की ओर रुख करना हो सकता है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि शॉर्ट-टर्म वेटेड एवरेज कॉल रेट (डब्ल्यूएसीआर) बीते 15 दिनों में 5.47% से बढ़कर 5.53% हो गया है, जो 5.50% की रेपो रेट से तीन बेसिस पॉइंट ऊपर है. डब्ल्यूएसीआर में यह बढ़ोतरी बैंकिंग सिस्टम में तंग लिक्विडिटी की स्थिति को दर्शाती है, जो बढ़ती क्रेडिट डिमांड के कारण है. दूसरी ओर, केंद्रीय बैंक आरबीआई लगातार वेरिएबल रेपो रेट ऑपरेशन (वीआरआर) के जरिए लिक्विडिटी को नियंत्रित कर रहा है.

