New Delhi: दिल्ली में लाल किला के पास सोमवार को हुए कार ब्लास्ट की सच्चाई धीरे-धीरे सामने आ रही है. लाल किला के सामने हरियाणा नंबर की आई-20 कार (HR 26-CE 7674) में हुआ तेज क्षमता वाला धमाका आतंकी घटना ही था. जिस कार में ब्लास्ट कराया गया, वह कार फरीदाबाद से लेकर दिल्ली व जम्मू-कश्मीर के पुलवामा तक कई लोगों को खरीदी व बेची गई. जानकारी के मुताबिक अब तक देश में जितने भी धमाके हुए हैं उनमें इस्तेमाल कारें इसी तरह से कई हाथों खरीदी व बेची गई पाई गई हैं.
इस्तेमाल कार का नहीं बदला गया था नंबर
ऐसे मामलों में आतंकी वारदात से पहले फर्जी नाम व पते से कारों का पंजीकरण भी करवा लेते हैं. सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने के लिए इस तरह किया जाता रहा है लेकिन लाल किला के सामने धमाके में इस्तेमाल कार का नंबर नहीं बदला गया था. केंद्रीय एजेंसियों व दिल्ली पुलिस ने रातभर गहन जांच पडताल की. इसके बाद फोरेंसिक साइंस लैब की रिपोर्ट के आधार पर मंगलवार सुबह दिल्ली पुलिस ने अधिकारिक रूप से पुष्टि कर दी कि यह घटना आतंकी वारदात थी.
एजेंसियां काफी हद तक अंतिम निष्कर्ष पर पहुंची
केंद्रीय एजेंसियों के इनपुट पर गुजरात एटीएस, जम्मू कश्मीर पुलिस, फरीदाबाद पुलिस व दिल्ली पुलिस द्वारा पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों से पूछताछ, उनके मोबाइलों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड व सीसीटीवी फुटेज की जांच से एजेंसियां काफी हद तक अंतिम निष्कर्ष पर पहुंच गई हैं. पुलिस ने धमाके में इस्तेमाल की गई आई-20 कार की खरीद-बिक्री से लेकर उसके पूरे रूट ट्रेल का भी पता लगा लिया है.
मोहम्मद सलमान की थी आई-20 कार
जांच में यह भी पता चला है कि आई-20 कार गुरुग्राम के शांति नगर के रहने वाले मोहम्मद सलमान की थी. जिसने बीते मार्च महीने में सेकेंड हैंड कारों की खरीद व बिक्री करने वाली स्पिनी कंपनी को बेच दी थी. स्पिनी से वह कार ओखला के रहने वाले देवेंद्र नाम के एक शख्स ने खरीदी थी. देवेंद्र सेकेंड हैंड कारों की खरीद बिक्री करता है. उसने फरीदाबाद में अपना ऑफिस खोल रखा है. देवेंद्र ने कुछ माह बाद वह कार फरीदाबाद के रहने वाले सोनू उर्फ सचिन नाम के शख्स को बेच दी थी.
जांच एजेंसियों से बचने के लिए अपनाया हो ऐसा पैतरा
सचिन से कुछ हफ्ते पहले ही जम्मू कश्मीर, पुलवामा के रहने वाले डॉक्टर उमर मोहम्मद ने कार खरीद ली. दस्तावेज की कुछ समस्या आने पर उमर मोहम्मद ने अपने परिचित पुलवामा के ही रहने वाले तारिक का दस्तावेज कार खरीदने में इस्तेमाल किया था. पुलिस को शक है कि हो सकता है उसने जांच एजेंसियों से बचने के लिए ऐसा पैतरा अपनाया हो. जांच में यह भी पता चला है कि उमर ने तारिक के नाम पर उसके दस्तावेज का इस्तेमाल कर सिम कार्ड भी लिया था. जिसका इस्तेमाल वह कई माह से कर रहा था.
वह सीनियर रेजिडेंट्स था…
डॉक्टर उमर मोहम्मद ने भी एमबीबीएस किया है. उसने फरीदाबाद के अल फलाह यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. वह सीनियर रेजिडेंट्स था. जम्मू कश्मीर इंटेलीजेंस द्वारा तारिक से पूछताछ में डॉ. उमर मोहम्मद द्वारा उस कार का इस्तेमाल करने की जानकारी मिली है. जिसके बाद दिल्ली पुलिस को यह जानकारी दी गई.

