पटनाः भारतीय जनता पार्टी ने बिहार चुनाव के नतीजों के तुरंत बाद बड़ा अनुशासनात्मक कदम उठाते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को पार्टी से निलंबित कर दिया. पार्टी ने आधिकारिक पत्र जारी कर स्पष्ट किया कि सिंह की लगातार विवादित और पार्टी-लाइन से परे की गई बयानबाजी को देखते हुए यह कार्रवाई जरूरी हो गई थी. बिहार भाजपा ने पार्टी एमएलसी अशोक कुमार अग्रवाल और कटिहार की मेयर उषा अग्रवाल को भी “पार्टी विरोधी गतिविधियों” के आरोप में निलंबित कर दिया है. पार्टी ने उनसे भी एक हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा है.
आरके सिंह कई दिनों से NDA नेतृत्व, उम्मीदवारों और बिहार सरकार पर गंभीर आरोप लगा रहे थे. उन्होंने न सिर्फ गठबंधन के कुछ उम्मीदवारों की साख पर सवाल उठाए, बल्कि सार्वजनिक मंचों से लोगों से अपील की कि “ऐसे लोगों को वोट देने से अच्छा है, चुल्लू भर पानी में डूब मरना.” इस बयान ने भाजपा के अंदर और बाहर तीखी प्रतिक्रिया पैदा की थी.
सबसे बड़ा विवाद तब खड़ा हुआ, जब सिंह ने बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, जेडीयू नेता अनंत सिंह और RJD के सूरजभान सिंह को खुलेआम “हत्या का आरोपी” कहा. उन्होंने कहा कि बिहार की राजनीति का अपराधीकरण बढ़ाने वाले ये चेहरे किसी भी तरह जनप्रतिनिधि होने के लायक नहीं हैं.
इसके साथ ही आरके सिंह ने नीतीश सरकार पर 62,000 करोड़ रुपये के बिजली घोटाले का आरोप लगाया. उनका दावा है कि अडाणी समूह के साथ किया गया बिजली खरीद समझौता “जनता के साथ धोखा” है और इसमें भारी वित्तीय अनियमितताएं छिपी हुई हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अडाणी पावर से 6.75 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदेगी, जबकि मौजूदा बाजार दर इससे काफी कम है.
आरके सिंह ने सवाल उठाया कि जब यह प्लांट NTPC द्वारा लगाया जाना तय था और केंद्रीय बजट में इसकी घोषणा भी हो चुकी थी, तो प्रोजेक्ट को अचानक निजी हाथों में क्यों सौंप दिया गया? यह किसके हित में बदलाव किया गया और किसे फायदा पहुंचाने के लिए, यह सरकार को साफ करना चाहिए.
उन्होंने सोशल मीडिया पर दस्तावेज साझा करते हुए कहा कि NTPC मॉडल में प्रति यूनिट फिक्स चार्ज 2.32 रुपये आता, लेकिन सरकार ने इसे 4.16 रुपये मंजूर कर दिया, यानी प्रति यूनिट 1.84 रुपये का अतिरिक्त बोझ, जो आगे चलकर हजारों-करोड़ की अनियमितताओं का कारण बनेगा. आरके सिंह ने लिखा, “चोरी और सीना जोरी साथ नहीं चल सकती. भ्रष्टाचार पर चुप रहना हमारे संस्कार में नहीं है.”
भाजपा का कहना है कि पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने और गठबंधन नेतृत्व पर बार-बार हमला करने के कारण उनकी सदस्यता समाप्त की गई.

