Washington: रूस-चीन से तनाव के बीच नेवादा साइट पर अमेरिका ने किया गुप्त “परमाणु परीक्षण”

Ved Prakash Sharma
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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वाशिंगटनः रूस और चीन से तनावों के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर बड़ा खेल कर दिया है. हाल ही में ट्रंप ने बयान दिया था कि अमेरिका जल्द ही आने वाले समय में परमाणु परीक्षण करेगा. दुनिया अभी सोच में पड़ी थी कि ट्रंप क्या वाकई ऐसा करेंगे या सिर्फ रूस, चीन, ईरान और उत्तर कोरिया जैसे देशों पर प्रेशर बढ़ाने के लिए ऐसा कह रहे हैं. इस बीच रूस ने भी साफ कह दिया था कि अगर अमेरिका परमाणु परीक्षण करता है तो मॉस्को भी करेगा. इससे दुनिया में परमाणु तनाव पैदा हो गया है, लेकिन इस बीच सबसे चौंकाने वाली खबर यह आ रही है कि गुपचुप तरीके से अमेरिका ने परमाणु परीक्षण को अंजाम दे दिया है. इस खबर ने पूरी दुनिया को हिला दिया है.

इस साइट पर हुआ गुपचुप परमाणु परीक्षण

अमेरिका ने यह परमाणु परीक्षण अपनी उसी नेवादा साइट पर किया है, जो उसका प्रमुख केंद्र है. अमेरिका ने यह परीक्षण बिल्कुल गुपचुप तरीके से और बिना किसी शोर-शराबे के किया है. रूस की स्टेट न्यूज एजेंसी आरटी.कॉम का दावा है कि अमेरिका ने चुपचाप B61-12 परमाणु बम का परीक्षण कर लिया है, लेकिन किसी को इसका पता नहीं चलने दिया. हैरानी की बात है कि यह परीक्षण अमेरिका ने अगस्त के महीने में ही पूरा कर लिया, जबकि राष्ट्रपति ट्रंप का परमाणु परीक्षण करने वाला बयान इसके बाद आया है, जिसमें वह कह रहे थे कि अब अमेरिका परमाणु परीक्षण करना चाहता है. यानी साफ है कि ट्रंप परमाणु परीक्षण कर लेने के बाद ऐसा बयान दे रहे थे, ताकि वह राज छुपा रहे, लेकिन अब पोल खुल गई है.

F-35 लड़ाकू विमानों से गिराया गया परमाणु बम

अमेरिका ने इस परमाणु परीक्षण में F-35 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया. इसमें एफ-35 फाइटर जेट ने बिना वारहेड के बम गिराए. यह तब हुआ, जब इससे पहले बमों की सेवा अवधि 20 साल तक बढ़ा दी गई थी. यानी इन परमाणु बमों की एक्सपायरी डेट अब 2040 के बाद तक है. रूस के आरटी.कॉम के मुताबिक, एफ-35 लड़ाकू विमानों ने अगस्त महीने में नेवादा के तपते रेगिस्तान से दोपहर में इस परमाणु परीक्षण के लिए उड़ान भरी थी.

अमेरिकी वायुसेना के लेफ्टिनेंट जैक हार्पर का इस परमाणु परीक्षण के दौरान अहम रोल रहा. उनके नेतृत्व में दुनिया के सबसे उन्नत लड़ाकू विमान F-35 लाइटनिंग II के कॉकपिट को इस बेहद रहस्यमयी मिशन पर भेजा गया था. इसको “ऑपरेशन शैडो ड्रॉप” कोडनेम दिया गया. फिर अमेरिकी सरकार ने चुपचाप B61-12 परमाणु बम का परीक्षण करने का फैसला किया था. इसके लिए न तो कोई घोषणा की गई और न ही किसी तरह की मीडिया कवरेज. यह परमाणु परीक्षण सिर्फ सन्नाटे और रेत के मैदानों के बीच किया गया.

वाशिंगटन में परमाणु परीक्षण से पहले हुई थी गुप्त बैठक

ऐसा दावा किया जा रहा है कि इस परमाणु परीक्षण से तीन महीने पहले ही अमेरिका के वाशिंगटन में गुप्त बैठक हुई थी. इसमें अमेरिकी रक्षा विभाग के वैज्ञानिकों ने बताया था कि B61-12 बमों की सेवा अवधि को 20 साल बढ़ा दिया गया है. पुराने B61 मॉडल्स को नष्ट करने के बजाय, इन्हें आधुनिक बनाया गया. इसके बाद यह सटीक मार्गदर्शन प्रणाली, कम विस्फोटक क्षमता, लेकिन घातक प्रभाव वाला हो गया. अमेरिकी जनरल ने कहा, “ये हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा का कवच है. मगर जैक जानते थे कि ये सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि एक नैतिक बोझ भी था, जिसे उन्होंने अगस्त में उतार दिया.

यह गुप्त परमाणु परीक्षण अमेरिका ने रूस और चीन से तनाव के बीच किया है, क्योंकि अमेरिका को मजबूत दिखना था. विमान ने नेवादा नेशनल सिक्योरिटी साइट के ऊपर से इस परीक्षण के लिए उड़ान भरी. जहां से नीचे, 1,350 वर्ग मील का वर्जित क्षेत्र फैला था, जो 1951 परमाणु परीक्षणों का गवाह भी था, लेकिन मगर इस बार के परीक्षण में कोई वास्तविक वारहेड नहीं था, सिर्फ निष्क्रिय बम थे, जो गुरुत्वाकर्षण से गिराए जाने थे. कंट्रोल रूम से आवाज आई  “ड्रॉप इन थ्री… टू… वन,”. इसके बाद परमाणु बम गिरा दिया गया. F-35 ने तेजी से ऊंचाई ली. सेंसर डेटा ने पुष्टि करते हुए बताया कि बम सटीक लैंडिंग पर, 30 मीटर की त्रिज्या में विस्फोट सिमुलेट हो रहा था. परीक्षण सफल रहा.

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