एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत सबसे सक्रिय और तेजी से बढ़ते रियल एस्टेट प्राइवेट क्रेडिट मार्केट में शामिल है. 2020 से 2024 के बीच भारत ने रीजनल फंडरेजिंग में 36 प्रतिशत का योगदान दिया और यह क्षेत्र दूसरे स्थान पर रहा. सोमवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, नाइट फ्रैंक के आंकड़े बताते हैं कि भारत में प्राइवेट क्रेडिट एसेट्स अंडर मैनेजमेंट में जबरदस्त वृद्धि हुई है. 2010 में यह सिर्फ 0.7 अरब डॉलर था, जो 2023 तक बढ़कर 17.8 अरब डॉलर हो गया है.
नाइट फ्रैंक को उम्मीद है कि मजबूत इन्वेस्टर एपेटाइट, पॉलिसी रिफॉर्म्स और नॉन-बैंक फाइनेंसिंग को लेकर बढ़ती डेवलपर डिमांड को देखते हुए भारत रीजन के 2028 तक अनुमानित 90-110 अरब डॉलर प्राइवेट क्रेडिट में 20 से 25 प्रतिशत का योगदान दर्ज करवाएगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि फाइनेंसिंग इकोसिस्टम में स्ट्रक्चर्ड शिफ्ट से इस विस्तार को गति मिल रही है. नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर शिशिर बैजल ने कहा, भारत की मजबूत इकोनॉमिक पॉजिशन और रेगुलेटरी ने प्राइवेट क्रेडिट गेन को गति देने में अहम भूमिका निभाई.
उन्होंने कहा कि बढ़ते हाउसिंग डिमांड के बीच फंडिंग गैप्स को भरने के लिए डेवलपर्स अब स्ट्रक्चर्ड फाइनेंसिंग पर अधिक निर्भर बने हुए हैं. एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत का एक लीडिंग प्राइवेट क्रेडिट मार्केट के रूप में उभरना देश के मजबूत इकोनॉमिक फंडामेंटल, रेगुलेटरी और बढ़ते संस्थागत भागीदारी को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि सरकार के सुधारों और विकास की संभावनाओं के साथ ऐसे समय में जब बहुत से बाजारों में ब्याज की दर उच्च बनी हुई है, भारत ग्लोबल कैपिटल के लिए एक आकर्षक डेस्टिनेशन बन रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का प्राइवेट क्रेडिट मार्केट ट्रेडिशनल डेवलपमेंट लेडिंग से आगे विस्तार कर रहा है. रुके हुए प्रोजेक्ट्स को पूरा करने और रियल एस्टेट सेक्टर में लिक्विडिटी सुधारने में स्ट्रक्चर्ड डेट, लास्ट-माइल प्रोजेक्ट फंडिंग और स्पेशल सिचुएशन फाइनेंसिंग जैसे उपाय महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस डायवर्सिफिकेशन से मार्केट की स्थिरता बढ़ रही है और अधिक निवेशकों को आकर्षित किया जा रहा है.