भारतीय कंपनियों की आय वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही में 8–10 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है. दूसरी तिमाही में आय वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत दर्ज की गई थी. इस वृद्धि का कारण ग्रामीण मांग और शहरी खपत में मजबूती बताया गया है. यह जानकारी गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई. रेटिंग एजेंसी आईसीआरए के अनुसार, इस दौरान प्रॉफिट मार्जिन में 50–100 आधार अंकों की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही में क्रेडिट मेट्रिक्स का ब्याज कवरेज पिछले 5 गुना के मुकाबले बढ़कर 5.3–5.5 गुना तक पहुँच सकता है.
आईसीआरए लिमिटेड की वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं सह-समूह प्रमुख – कॉर्पोरेट रेटिंग्स, किंजल शाह ने कहा, घरेलू स्तर पर ग्रामीण मांग मजबूत बनी हुई है और जीएसटी सुधार, केंद्रीय बजट 2025 के दौरान घोषित आयकर राहत, फरवरी 2025 और नवंबर 2025 के बीच भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दर में 100 बीपीएस की कटौती (जिससे उधार लेने की लागत कम होगी) और खाद्य मुद्रास्फीति में कमी जैसी अनुकूल परिस्थितियों से शहरी खपत को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
शाह ने कहा, वर्तमान भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी शुल्कों से विशेष रूप से निर्यात केंद्रित क्षेत्रों जैसे कृषि-रसायन, वस्त्र, ऑटो और ऑटो कलपुर्जे, समुद्री खाद्य, कटे और पॉलिश किए हुए हीरे और आईटी सेवाओं के डिमांड सेंटीमेंट असर हो रहा है. आईसीआरए द्वारा 2,966 कंपनियों के विश्लेषण से पता चला है कि दूसरी तिमाही में आय वृद्धि का नेतृत्व खुदरा, होटल, ऑटो, पूंजीगत सामान और सीमेंट सेक्टर की ओर से किया गया.
कॉरपोरेट इंडिया ने वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में ऑपरेटिंग मार्जिन में 140 आधार अंकों की बढ़ोतरी दर्ज की, जिससे यह 16.1 प्रतिशत तक पहुँच गया. मांग में सुधार और बेहतर कार्यान्वयन के कारण दूरसंचार, सीमेंट और तेल एवं गैस जैसे क्षेत्रों में मार्जिन में वृद्धि हुई है. आईसीआरए ने कहा कि अनिश्चित वैश्विक परिस्थितियों और टैरिफ-संबंधित अस्पष्टता के कारण निजी पूंजीगत व्यय सीमित रह सकता है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर्स, डेटा सेंटर और चुनिंदा ऑटोमोटिव सेगमेंट में वृद्धि जारी रहेगी.