China-Japan : ताइवान को लेकर बढ़ते तनाव के बीच चीन ने जापान को कड़ी चेतावनी दी है. ऐसे में चीन के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि अगर जापान ने ताइवान के मामले में दखलअंदाजी की या लाइन क्रॉस करता है, तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. बता दें कि उनका यह बयान ऐसे समय में आया जब जापान ताइवान से करीब 100 किलोमीटर दूर अपने एक द्वीप पर मिसाइलें तैनात करने की तैयारी कर रहा है.
कुछ ही समय पहले जापान के रक्षा मंत्री शिंजिरो कोइजुमी ने पुष्टि की थी कि योनागुनी द्वीप पर मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें तैनात करने की योजना आगे बढ़ रही है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक यह द्वीप ताइवान के पूर्वी तट से सिर्फ 110 किलोमीटर दूर है. इस मामले को लेकर जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची पहले ही कह चुकी हैं कि अगर चीन ताइवान पर सैन्य हमला करता है तो जापान सैन्य प्रतिक्रिया दे सकता है और इसी के बाद से दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव और बढ़ गया है.
ताइवान पर जापान का कोई हक नहीं – चीन
बता दें कि जापान की इस योजना पर चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जियांग बिन ने प्रतिक्रिया दी और कहा कि ताइवान मुद्दा पूरी तरह चीन का आंतरिक मामला है. तो जापान का इससे कोई संबंध नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि जापान ताइवान पर अपने 1895-1945 के औपनिवेशिक शासन को भुला रहा है और इतिहास से सीख नहीं ले रहा. ऐसे में उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जापान ने आधा कदम भी सीमा पार किया, तो उसे इसका दर्दनाक परिणाम भुगतना पड़ेगा.
हमारी जमीन, हमारा फैसला- ताइवान
प्राप्त जानकारी के अनुसार चीन के इस दावों को ताइवान सरकार ने सिरे से खारिज किया और कहा कि केवल ताइवान के लोग तय करेंगे कि उनका भविष्य क्या होगा. इसके साथ ही ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने इस हफ्ते अगले आठ वर्षों में रक्षा क्षेत्र में अतिरिक्त 40 अरब डॉलर खर्च करने की योजना की घोषणा की. इस पर चीन ने प्रतिक्रिया दी और कहा कि यह पैसा ‘बर्बाद’ होगा और इससे ताइवान को नुकसान ही होगा.
पैसे का इस्तेमाल अपने नागरिकों की भलाई में करे- चीन
ऐसे में चीन के विरोध पर ताइवान के मेनलैंड अफेयर्स काउंसिल के प्रवक्ता लिआंग वेन-चिएह का कहना है कि चीन का रक्षा बजट ताइवान से कई गुना ज्यादा है. उनका मानना है कि अगर चीन शांति चाहता है तो वह इस पैसे का इस्तेमाल अपने नागरिकों की भलाई में करे. वहीं ताइवान का आरोप है कि चीन की सेना लगभग हर दिन ताइवान के आस-पास के समुद्र और हवाई क्षेत्र में गतिविधियां कर रही है, जिसे वह दबाव बनाने और डराने की रणनीति बताता है.
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