योगी सरकार पूर्वांचल के विकास के साथ आपातकाल एवं आपदाओं से निपटने के लिए पुख्ता इंतज़ाम कर रही है. सरकार ने अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवाओं को पूरी तरह आधुनिक और विस्तारित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. स्वतंत्रता से पहले बने उत्तर प्रदेश अग्निशमन सेवा अधिनियम-1944 को पूरी तरह प्रतिस्थापित करते हुए प्रदेश में “उत्तर प्रदेश अग्निशमन तथा आपात सेवा अधिनियम-2022” और इसके अंतर्गत “उत्तर प्रदेश अग्निशमन तथा आपात सेवा नियमावली-2024” लागू कर दी गई है. भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा वर्ष 2017 में जारी मॉडल बिल फॉर फायर एंड इमरजेंसी सर्विस को संशोधित कर 2019 में पुनः प्रसारित किया गया था.
उसी क्रम में उत्तर प्रदेश पहला राज्य बना जिसने इसे अंगीकृत कर उत्तर प्रदेश अग्निशमन तथा आपात सेवा अधिनियम 2022 और नियमावली 2024 लागू की. योगी सरकार विभाग का पुनर्गठन करते हुए नवीन पदों के सृजन की सैद्धांतिक सहमति दे चुकी है. इसमें पुलिस विभाग के समकक्ष नए वरिष्ठ पदों का सृजन किया जा रहा है. मुख्य अग्निशमन अधिकारी आनंद सिंह राजपूत ने बताया कि नए ढांचे के अंतर्गत जनपद प्रभारी उप निदेशक (पुलिस अधीक्षक समकक्ष), वरिष्ठ मुख्य अग्निशमन अधिकारी (अपर पुलिस अधीक्षक समकक्ष), तथा दो मुख्य अग्निशमन अधिकारी (पुलिस उपाधीक्षक समकक्ष) पदों का सृजन किया गया है. इनमें एक अधिकारी अग्निशमन उप जिला ग्रामीण के प्रभारी होंगे जबकि दूसरे को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर फायर सर्विस की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी.
इसके अतिरिक्त, अग्निशमन प्रक्षेत्र वाराणसी जोन का प्रभारी संयुक्त निदेशक (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक समकक्ष) स्तर का अधिकारी होगा, जो वाराणसी, जोन के जिलों का पर्यवेक्षण करेगा. उनके नियंत्रण में एक स्पेशली ट्रेंड रेस्क्यू ग्रुप कार्य करेगा जिसमें प्रशिक्षित फायरमैन, चालक व अधिकारी शामिल रहेंगे, जो आपात स्थिति में फर्स्ट रिस्पांडर के रूप में कार्य करेंगे.
सीएफओ ने जानकारी दी कि आज़ादी के ज़माने में बना 1944 का अधिनियम वर्तमान समय की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं था. केवल लकड़ी, कपड़ा, तेल जैसी सामान्य ज्वलनशील सामग्रियों से लगने वाली आग को ध्यान में रखकर बनाया गया था. स्वतंत्रता के बाद प्रदेश में तेजी से हो रहे विकास, बहुमंजिला इमारतें, मॉल, मल्टीप्लेक्स, बड़े अस्पताल, औद्योगिक इकाइयां और पेट्रोकेमिकल्स का तेजी से विस्तार हुआ.
पुराने कानून और पद सृजन की व्यवस्था इन नई चुनौतियों का सामना करने में अपर्याप्त साबित हो रही थी. अब उत्तर प्रदेश की अग्निशमन सेवा न केवल आग बुझाने बल्कि बड़े पैमाने पर रेस्क्यू, केमिकल-बायोलॉजिकल दुर्घटना प्रबंधन और आपदा प्रतिक्रिया के लिए पूरी तरह तैयार हो रही है.