पिछले 4 वर्षों में भारत के वस्त्र निर्यात में हुई जबरदस्त बढ़ोतरी: केंद्र

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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भारत का वस्त्र, परिधान और हस्तशिल्प निर्यात पिछले चार वित्तीय वर्षों में औसतन 4.6% की वार्षिक वृद्धि के साथ बढ़ा है. केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने मंगलवार को राज्यसभा में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत का वस्त्र निर्यात 31.58 अरब डॉलर रहा था, जो वित्त वर्ष 2024-25 तक बढ़कर 37.75 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इस अवधि में भारतीय वस्त्रों का निर्यात 100 से अधिक देशों में बढ़ा है.

भारत का वस्त्र निर्यात प्रदर्शन मजबूत

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि महामारी के बाद दुनिया भर में आपूर्ति शृंखला में आए बदलावों के बावजूद भारत का वस्त्र निर्यात प्रदर्शन मजबूत बना हुआ है. रेडीमेड गारमेंट्स, सूती और मानव निर्मित फाइबर (एमएमएफ) वस्त्र, कालीन और हस्तशिल्प के निर्यात में वृद्धि इसका कारण है. उन्होंने बताया कि सरकार ने 7 ‘पीएम मित्र पार्क’ की मंजूरी दी है, जिन पर 4,445 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. ये पार्क इंटीग्रेटेड वस्त्र बुनियादी इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने में मदद करेंगे.

नवाचार और बाजार विस्तार पर दिया जा रहा जोर

इसके अलावा पीएलआई स्कीम (10,683 करोड़ रुपये) के तहत सिंथेटिक वस्त्र, कपड़े और तकनीकी वस्त्रों के लिए निवेश बढ़ाने की योजना है. राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन के तहत 1,480 करोड़ रुपये की लागत से अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देते हुए नवाचार और बाजार विस्तार पर जोर दिया जा रहा है. वहीं समर्थ और सिल्क समग्र-2 योजनाओं (4,679.86 करोड़ रुपए) के तहत कौशल विकास, तकनीकी उन्नति और क्षेत्रीय विकास को मजबूती प्रदान की जा रही है.

केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार पारंपरिक कारीगरों के जीवन-यापन को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम और कच्चा माल आपूर्ति योजना चला रही है, जिसके तहत कारीगरों को कच्चे माल, आधुनिक करघा, सौर ऊर्जा लाइटिंग, कार्यशालाएं, डिजाइन नवाचार, मार्केटिंग सहायता और सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जा रही है.

कारीगरों की बाजार तक पहुंच मजबूत

हाथकरघा समृद्धि सहायता योजना के अंतर्गत अक्टूबर 2025 तक 32,248 हथकरघा बुनकरों को आधुनिक करघे और सहायक उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं, जबकि 302 इलेक्ट्रॉनिक जैक्वार्ड भी वितरित किए गए हैं. इसके अलावा इंडिया हैंडमेड ई-कॉमर्स पोर्टल के जरिए कारीगरों की बाजार तक पहुंच को मजबूत किया गया है और जीईएम पोर्टल से लगभग 1.5 लाख कारीगरों व बुनकरों को जोड़ा गया है, जिससे वे सीधे सरकारी खरीदारों को अपने उत्पाद बेच सकें.

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