इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (ईएमसी 2.0) देश के 10 राज्यों में स्थापित हैं. इन परियोजनाओं में कुल 1,46,846 करोड़ रुपए के निवेश का अनुमान है और इनसे लगभग 1.80 लाख नए रोजगार पैदा होने की उम्मीद है. यह जानकारी बुधवार को सरकार द्वारा साझा की गई. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने लोकसभा में बताया कि अब तक 11 ईएमसी परियोजनाओं और 2 कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है.
4,399.68 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई हैं सभी परियोजनाएं
ये सभी परियोजनाएं कुल 4,399.68 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई हैं, जिनकी कुल लागत 5,226.49 करोड़ रुपए है. इसमें से 2,492.74 करोड़ रुपए केंद्र सरकार की वित्तीय सहायता के रूप में शामिल हैं. इसके अलावा, ईएमसी 2.0 योजना के तहत हर क्लस्टर में उपलब्ध कुल क्षेत्र का कम से कम 10 प्रतिशत हिस्सा रेडी बिल्ट फैक्ट्री (RBF) शेड के लिए आरक्षित रखा गया है. मंजूर किए गए ईएमसी 2.0 पार्कों में बनाए जा रहे रेडी बिल्ट फैक्ट्री शेड इस समय विभिन्न निर्माण चरणों में हैं.
13,680 लोगों को मिला रोजगार
मंत्री ने बताया कि स्वीकृत ईएमसी में 123 भूमि आवंटियों (निर्माताओं) से अब तक 1,13,000 करोड़ रुपए के निवेश की प्रतिबद्धता मिल चुकी है. इनमें से 9 यूनिट्स ने प्रोडक्शन शुरू कर दिया है, जिन्होंने 12,569.69 करोड़ रुपए का निवेश किया है और इससे 13,680 लोगों को रोजगार मिला है. ईएमसी 2.0 योजना का एक स्वतंत्र प्रभाव मूल्यांकन एमएसएमई मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम संस्थान द्वारा किया गया.
मैन्युफैक्चरिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का तेजी से हुआ विकास
मंत्री ने कहा कि मूल्यांकन में बताया गया कि इस योजना से इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विकास हुआ है, सप्लाई चेन बेहतर हुई है, रेडी बिल्ट फैक्ट्री और प्लग-एंड-प्ले सुविधाएं उपलब्ध हुई हैं, सस्ती और बेहतर लॉजिस्टिक्स मिली है और बड़ी संख्या में सीधे और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा हुए हैं. साथ ही, क्लस्टर में काम करने वाले लोगों के कौशल विकास में भी सुधार हुआ है.
सरकार ने अप्रैल 2020 में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (ईएमसी 2.0) योजना की घोषणा की थी. इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को बढ़ावा देना है. यह योजना ग्रीनफील्ड यानी नई जगह और ब्राउनफील्ड यानी मौजूदा जगह दोनों प्रकार के क्लस्टरों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है, ताकि विश्व स्तरीय इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण सुविधाएं तैयार की जा सकें.

