भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर सेक्टर अब केवल योजनाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इस क्षेत्र में वास्तविक काम और प्रगति भी देखने को मिल रही है. साल 2025 में इस उद्योग ने कई नए रिकॉर्ड स्थापित किए हैं और 2026 में मेक इन इंडिया और प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव योजनाओं के तहत और बड़ी उपलब्धियों की उम्मीद जताई जा रही है. इससे भारत दुनिया में एक भरोसेमंद और तेजी से उभरता हुआ इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.
भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन और निर्यात में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में तेज बढ़ोतरी हुई है, जो वित्त वर्ष 2014-15 में 1.9 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 2024-25 में करीब 11.3 लाख करोड़ रुपए हो गया है. इसी तरह इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात भी 38,000 करोड़ रुपए से बढ़कर 3.27 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है. मोबाइल फोन निर्माण में भी बड़ी बढ़त देखने को मिली है. साल 2014-15 में देश में सिर्फ 2 मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट थीं, जो अब बढ़कर करीब 300 यूनिट हो गई हैं.
मोबाइल फोन उत्पादन और निर्यात में जबरदस्त उछाल
इस दौरान भारत में मोबाइल फोन का उत्पादन 18,000 करोड़ रुपए से बढ़कर 5.45 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया है. वहीं, मोबाइल फोन का निर्यात भी 1,500 करोड़ रुपए से बढ़कर लगभग 2 लाख करोड़ रुपए हो गया है. इसके अलावा, देश के 10 राज्यों में स्थापित इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (EMC 2.0) से करीब 1.46 लाख करोड़ रुपए का निवेश आने की उम्मीद है, जिससे लगभग 1.80 लाख लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान है.
पिछले 10 वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग मजबूत
पिछले 10 वर्षों में भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल फोन के क्षेत्र में, काफी मजबूत हुआ है. अब भारत कई क्षेत्रों में आयात करने के बजाय निर्यात करने वाला देश बन चुका है. इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के चेयरमैन पंकज मोहिंद्रू ने कहा कि 2025 का साल मेक इन इंडिया के लिए बहुत अहम रहा है. PLI योजना की वजह से भारत अब एक मजबूत और भरोसेमंद इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण केंद्र बन चुका है. 2026 में नीतिगत निरंतरता, तेज़ अनुमोदन प्रक्रियाएं और आवश्यक उपकरणों के निर्माण पर विशेष ध्यान देना बेहद महत्वपूर्ण होगा.
भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स ग्रोथ स्थायी हुई
इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (IESA) और SEMI के अध्यक्ष अशोक चंदक ने बताया कि भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स ग्रोथ अब अस्थायी नहीं, बल्कि स्थायी रूप ले चुकी है. सरकार, उद्योग और अन्य संस्थाएं मिलकर एक मजबूत, टिकाऊ और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी मूल्य श्रृंखला बनाने के लिए काम कर रही हैं. उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में नई तकनीक, रिसर्च, स्किल डेवलपमेंट और देश में निर्मित सेमीकंडक्टर का अधिकतम उपयोग भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री को और अधिक मजबूत बनाएगा.
सेमीकॉन इंडिया योजना से सेमीकंडक्टर सेक्टर को रफ्तार
भारत का सेमीकंडक्टर सेक्टर भी अब तेजी से आगे बढ़ रहा है. सरकार की सेमीकॉन इंडिया योजना के तहत अब तक 10 प्रोजेक्ट मंजूर किए गए हैं, जिनमें कुल 1.6 लाख करोड़ रुपए का निवेश होगा. इनमें सेमीकंडक्टर फैब, एडवांस पैकेजिंग और मेमोरी चिप से जुड़े प्रोजेक्ट शामिल हैं. सरकार ने मोबाइल फोन और इसके कुछ पुर्जों के निर्माण के लिए PLI योजना शुरू की है, जिसके तहत अक्टूबर 2025 तक 14,065 करोड़ रुपए का निवेश आ चुका है.
इसके अलावा, लैपटॉप, टैबलेट और सर्वर जैसे IT हार्डवेयर के निर्माण के लिए शुरू की गई PLI योजना से 846 करोड़ रुपए का निवेश प्राप्त हुआ है. इस तरह, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर निर्माण में तेजी से आगे बढ़ रहा है. मेक इन इंडिया और PLI योजनाओं की मदद से 2026 साल भारत के लिए नए रिकॉर्ड और नए अवसर लेकर आने की संभावना है.

