जानिए संडे के संघर्ष की कहानी, पहले बच्चों या बड़ों में किसको मिली थी छुट्टी?

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Sunday Holiday Started In India: हम सभी को हफ्ते भर काम करने के बाद रविवार यानी संडे का इंतजार रहता है. अमूमन आज की भाषा में संडे को फन डे के तौर पर जाना जाता है. हफ्ते में लगातार काम करने के बाद, लगातार स्कूल कॉलेज जाने के बाद ये दिन सुकून का होता है. पर क्या आपको पता है आप जिस संडे का पूरे हफ्ते इंतजार करते हैं उस संडे को छुट्टी की शुरुआत कब, क्यों और किस लिए हुई थी. आइए आपको बताते हैं कि संडे को वीकेंड हॉलिडे कब, क्यों और कैसे बनाया गया.

आपको बता दें आजादी के पहले सब लोग हफ्ते के 7 दिनों तक लगातार बिना रुके काम किया करते थे. यहां तक की बच्चों को भी पूरे सात दिन तक पढ़ना पड़ता था. दरअसल, संडे की छुट्टी इन दो कारणों से ही शुरू हुई थी, जोकि काफी इंट्रस्टिंग है.

10 जून 1890 से हुई थी शुरुआत
1890 के पहले मजदूर हफ्ते के सातों दिन काम किया करते थे, इस कारण से उनका स्वास्थ हमेशा खराब रहता था. अंग्रेजी हुकूमत द्वारा मजदूरों का पूरे हफ्ते शोषण किया जाता था. भारतीय लोगों का स्वास्थ बिगड़ता देख नेता नारायण मेघाजी लोखंडे ने 1883 में हफ्ते के आखिरी दिन छुट्टी की मांग की, जिसके लिए उन्होंने आंदोलन भी किया. सात साल तक चले इस लंबे आंदोलन के बाद आखिरकार 10 जून 1890 को अंग्रेजी हुकूमत ने संडे के दिन छुट्टी करने का फैसला किया. तभी से संडे के दिन छुट्टी की शुरुआत हुई.

1844 में शुरु हुआ स्कूलों में ‘संडे हॉलिडे’
अब आप सोच रहे होंगे कि स्कूलों में संडे के दिन छुट्टी क्यों दी गई, तो आपको बता दें कि ब्रिटिश गवर्नर जनरल ने 1844 में स्कूली बच्चों के लिए ‘संडे हॉलिडे’ शुरु किया था. ‘संडे हॉलिडे’ के पीछे का कारण था कि बच्चे रेगुलर पढ़ाई से अलग कुछ क्रिएटिव भी कर सकें.

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