Navratri Special Story: पाकिस्तान के अघोर पर्वत पर गिरा था माता सती का ये अंग, यहीं है मां भगवती का प्रथम शक्तिपीठ

Ujjwal Kumar Rai
Chief Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Pakistani Hinglaj Mata Mandir: वैदिक पंचांग के अनुसार नवरात्रि पर्व का आरंभ हो चुका है. इन 9 दिनों में हर घर में मां दुर्गा की उपासना शुरु हो गई है. मान्यता है कि मां की उपासना से घर में सुख, समृद्धि आती है. आइए हम आपको बताते हैं एक ऐसे शक्तिपीठ के बारे में जो, पाकिस्तान के अघोर पर्वत पर है. ये मां भगवती का प्रथम शक्तिपीठ है. यहीं माता सती के शरीर का पहला अंग गिरा था.

माता ने खुद को अग्निकुंड में सौंपा था
आपको बता दें कि ये शक्तिपीठ माता भगवती के 51 शक्तिपीठों में ये सबसे पहला है. माता का ये पीठ भारत नहीं पाकिस्तान में है. दरअसल, हिंगलाज शक्तिपीठ में मां का मस्तिष्क विद्यमान है. पौराणिक मान्यताओं की मानें, तो माता सती ने पिता दक्ष के द्वारा भगवान शिव के अपमान के बाद खुद को अग्निकुंड में सौंप दिया था. इसके बाद महादेव माता के मृत शरीर को कंधे पर रखकर तांडव करने लगे.

अघोर पर्वत पर गिरा था सिर
शिव के तांडव से चारों तरफ हाहाकार मच गया. ऐसे में महादेव के प्रकोप से सृष्टि को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने चक्र सुदर्शन का प्रयोग किया. उन्होंने माता सती के शरीर को 51 भाग में काट दिया. कहा जाता है कि माता के शरीर का हिस्सा जहां-जहां गिरा, वहां शक्तिपीठ बन गए. कहा जाता है कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में मां के शरीर का पहला हिस्सा यानी सिर अघोर पर्वत पर गिरा था. इसलिए इस स्थान को मां भगवती का प्रथम शक्तिपीठ माना जाता है.

इस राज्य में भी था हिंगलाज माता का मंदिर
कहा जाता है कि माता सती के सिर का हिस्सा दो जगह पर गिरा. एक पाकिस्तान के बलूचिस्तान में और दूसरा राजस्थान के काठियावाड़ में. बताया जाता है कि हिंगलाज माता राजा की कुलदेवी थीं.

ऐसा बताया जा है कि हिंगलाज माता की प्रतिमा को कुछ भक्त राजस्थान से एमपी के छिंदवाड़ा लेकर आए थे. अभी भारत में माता हिंगलाज का मंदिर छिंदवाड़ा के चांदामेटा में है. नवरात्रि में बड़ी संख्या में भक्त माता रानी के दर पर पहुंचते हैं.

(डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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