वैज्ञानिकों को मिला दुर्लभ तारा, आकाशगंगा के गुरुत्वाकर्षण को दे सकता है चकमा

Raginee Rai
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Speeding Star: अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक बड़ी खोज की है. दरअसल खगोल वैज्ञानिकों की टीम ने एक बहुत पुराने तारे की खोज की है. यह हमारी मिल्कीवे आकाशगंगा (Galaxy) के सबसे पुराने तारों में से एक है. इसका नाम CWISE J124909+362116.0 (J1249+36) है. इस तारे की खासियत है कि यह बहुत ही तेज़ गति से चलता है. अमेरिकी खगोलीय सोसायटी की 244वीं बैठक में इस तारे की खोज के बारे में बताया गया है.

आकाशगंगा के गुरुत्‍वाकर्षण को चकमा देने वाला तारा

वैज्ञानिकों ने जिस प्राचीन तारे को ढूंढा है, उसकी गति 600 किलोमीटर प्रति सेकेंड है. ऐसे में यह तारा गैलेक्‍सी के गुरुत्वाकर्षण को चकमा देने में माहिर हो सकता है. तेज गति होने क कारण यह जल्द ही आकशगंगा से निकलकर अंतरिक्ष में दूर जा सकता है.

कैसे मिला यह तारा

दरअसल, इस तरह बहुत कम रोशनी और तापमान वाले होते हैं. ये तारे एल. सबड्वार्फ तारों की श्रेणी में आते हैं. आकाशगंगा में अभी तक इस तरह के कुछ ही तारों को खोजा गया है, जिनकी गति काफी तेज़ है और उनमें हाल ही में मिला तारा CWISE J124909+362116.0 (J1249+36) भी एक है.

तारे की तेज गति के हो सकते हैं तीन कारण

1- फिलहाल वैज्ञानिक इस तारे की तेज़ गति की वजह ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि उन्होंने इसके तीन संभावित कारण बताए हैं. इसमें पहला ये है कि इस तारे का किसी ऐसे डबल स्टार सिस्टम से टूटना माना जा रहा है, जिसमें एक सफेद बौना तारा शामिल था. सफेद बौने तारे खुद से ऊर्जा नहीं बना पाते और अपने साथी तारे से पदार्थ खींचकर ऊर्जा बनाते है. इस स्थिति में कभी कभी विस्फोट हो जाता है जिससे साथी तारा तेज़ गति से दूर अंतरिक्ष में चला जाता है.

2- दूसरा कारण यह बताया जा रहा है कि कई सारे तारे आपस में टकरा कर अस्थिर हो जाते है. इनका टकराव आकाशगंगा के दूसरी तरफ स्थित किसी पिंड से हो जाता है. आकाशगंगा के अंदर गोलाकार तारागुच्छ नाम की जगहों पर ऐसे तारों का घना समूह होता है, जिससे वहाँ टकराव ज़्यादा होने की संभावना रहती है. इस वजह से तारे की गति तेज़ हो सकती है.

3- तीसरा कारण यह बतया जा रहा है कि CWISE J124909+362116.0 (J1249+36) हमारी आकाशगंगा में शामिल ही नहीं है, बल्कि यह तारा किसी आसपास की छोटी आकाशगंगा से आया है.

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