दिवाली जैसे ना होइए कंफ्यूज, यहां जानिए छठ पूजा की सही तिथि और पूजन मुहूर्त

Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Chhath Puja 2024: साल 2024 में दीपावली की तिथियों को लेकर लोगों को काफी कंफ्यूजन था. अब दीवाली के बीत जाने के बाद लोगों में छठ पूजा की तारीख को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है. छठ पूजा सूर्य देव की उपासना का पर्व होता है. विशेष तौर पर इस महात्यौहार को बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. छठ महापर्व में महिलाएं व्रत रखती हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं. आइए आपको बताते हैं इस साल छठ का त्योहार किस दिन से मनाया जाएगा.

शास्त्रों और पंचांग के अनुसार छठ पूजा का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इस साल ये तिथि 7 नवंबर दिन गुरुवार को तड़के सुबह (पूर्वाहन) 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी. इसी के साथ ये तिथि अगले दिन दोपहर 12 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी.

सनातन धर्म में उदया तिथि को सर्वमान्य कहा जाता है. ऐसे में छठ पूजा का पर्व 7 नवंबर दिन गुरुवार को ही मनाया जाएगा. छठ पूजा के लिए शाम के समय का अर्घ्य 7 नवंबर को और सुबह का अर्घ्य 8 नवंबर को दिया जाएगा. इस अर्घ्य के बाद व्रत का पारण किया जाना है.

जानिए किसी दिन से होगी छठ महापर्व की शुरुआत

  • छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय
  • छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना
  • छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-संध्या अर्घ्य
  • छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उषा अर्घ्य

36 घंटों का व्रत करती हैं महिलाएं

सनातन धर्म में छठ पूजा के दौरान छठी मैया और सूर्य देव की पूजा विधि-विधान से की जाती है. दीवाली के 6 दिनों बाद छठ महापर्व मनाया जाता है. छठ पूजा चार दिनों की होती है. इसकी शुरुआत नहाय-खाय और खरना से होती है. इसके बाद डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है. इस दौरान महिलाएं नदी में कमर जल में जाकर सूर्य देवता को अर्घ्य देकर पूजा करती हैं. इसमें 36 घंटों का निर्जला व्रत भी रखा जाता है. इस व्रत को काफी कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं की मानें तो छठी मइया की पूजा करने से व्रती को आरोग्यता, सुख-समृद्धि, संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

कब से होती है व्रत की शुरुआत?

इस साल छठ पूजा के लिए नहाय खाय की प्रक्रिया कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होगी. यानी इस त्योहार की शुरुआत 05 नवंबर से होने जा रही है. वहीं, खरना कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी 6 नवंबर को खरना पड़ रहा है. इस तिथि पर पूरे दिन निर्जला उपवास करने के बाद महिलाएं छठी मैया की पूजा करती हैं. प्रसाद ग्रहण करती हैं. इसी के बाद से 36 घंटों का निर्जला व्रत रखती हैं.

छठ पूजा का है विशेष महत्व

गौरतलब है कि छठ पूजा एक ऐसा पर्व है जो अपने आप में विश्वास, श्रद्धा और प्रकृति के प्रति आभार का प्रतीक है. इस महापर्व को मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. ये त्योहार छठी मैया और सूर्य भगवान को समर्पित है. सूर्यदेव को जीवनदाता माना जाता है और छठी मैया को संतान की देवी के तौर पर पूजा जाता है. इस पर्व के माध्यम से लोग प्रकृति के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं. सूर्य, जल और वायु इन तीनों तत्वों की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा करने से स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. छठ पूजा के दौरान सभी लोग मिलकर पूजा करते हैं, जिससे सामाजिक एकता बढ़ती रहें.

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