जो मनुष्य भक्तिमय जीवन व्यतीत करता है, उसकी मृत्यु बन जाती है मंगल-त्यौहार: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भक्ति-मंगल- महापुरुष मानते हैं कि चाहे मृत्यु का निवारण असम्भव हो, परन्तु अच्छे संग, भगवत भजन और भगवत प्रसाद के द्वारा मरण को सुधारा जा सकता है। मनुष्य वैर और वासना रखकर मरता है, इसीलिए मृत्यु बिगड़ी है।
हम एक दिन अन्न छोड़ते हैं तो मन अन्न में ही बार-बार जाता है, जबकि मृत्यु शय्या पर तो कितने ही दिनों पूर्व से अन्न छोड़ा हुआ होने से वह अन्न में ही फंसा रहता है। इसीलिए अन्न की वासना में फंसे हुए प्राणी की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा की शान्ति के लिए अन्नदान करने का महत्व है। परन्तु जो मनुष्य वासना रहित होकर ही मरता है, उसकी श्राद्ध न किया जाए तो भी कोई हर्ज नहीं।
इसलिए वैर और वासना का विनाश करके जो भक्तिमय जीवन व्यतीत करता है, उसकी मृत्यु मंगल-त्यौहार बन जाती है। सारा परिवार यदि एक साथ बैठकर प्रार्थना करे, तभी गृहस्थाश्रम का आनन्द है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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