शरीर और इंद्रियों के सुख को ही सच्चा सुख समझता है आज का मनुष्य: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, आज का मनुष्य शरीर और इंद्रियों के सुख को ही सच्चा सुख समझता है। इसलिए उन सुखों को प्राप्त करने के लिए वह हाथ-पैर चलता हुआ अनेक प्रकार के असत्य आचरण कर रहा है, अनाचार कर रहा है और संयम तथा सदाचार को एक तरफ फेंक रहा है। परन्तु संयम तथा सदाचार की उपेक्षा करके करोड़ों रुपये कमाने वाले को सच्ची शांति कैसे प्राप्त हो सकती है?
गलत रास्ते पर चलकर चाहे वह करोड़ों की मिल्कियत का मालिक बने, किंतु शांति तो नहीं मिलती। इसलिए इस दुनियां में कई लोग तो कुछ न मिलने के कारण दुःखी होते हैं और कई लोग करोड़ों की दौलत इकट्ठा हो जाने पर दुःख में पड़ जाते हैं। कुछ लोग ज्यादा खाने से दुःखी होते हैं तो कुछ लोग भोजन न मिलने पर दुःख का अनुभव करते हैं।
कुछ को आज्ञा दुःखी करता है तो कुछ को ज्ञान का अभिमान दुःख देता है। आज से मैं प्रभु का बनता हूं,ऐसा निर्णय साधक को करना चाहिए। प्रभु की हर इच्छा में अपना भला है, ऐसा विश्वास करना चाहिए। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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