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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, आजकल के लोग ज्ञान-वैराग्य की बातें तो बहुत करते हैं, किन्तु जरा-सा नुकसान देखकर क्रोध में जल उठते हैं।शान्ति की बातें करने वाले ज्ञानियों का दिमाग यदि ठण्डी चाय के मिलते ही गर्म हो जाए तो क्या वे ज्ञानी कहलाने के अधिकारी हैं।
ज्ञानी बनना कठिन है, प्रभु-प्रेमी बनना कठिन है, फिर भी ज्ञान एवं भक्ति दोनों ही समान रूप से श्रेष्ठ हैं। भक्ति को ज्ञान की आवश्यकता है और ज्ञान को भक्ति की। भक्ति के बिना ज्ञान लंगड़ा है और ज्ञान के बिना भक्ति अंधी है। जहां-जहां नजर पड़ेगी, वहां-वहां परमात्मा ही दिखाई देगा- यह पक्का निर्णय ही ज्ञान है।
जीवन की सार्थकता के लिए ऐसे ज्ञान की भी बड़ी आवश्यकता है एवं ऐसी भक्ति की भी बड़ी आवश्यकता है। यह शरीर मेरा नहीं तो फिर यह धन मेरा कैसे हो सकता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल