Mahalakshmi Vrat 2025: 14 सितंबर को समाप्‍त होगा महालक्ष्मी व्रत, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Mahalakshmi Vrat 2025: 31 अगस्त से शुरू हुए सोलह दिवसीय माता महालक्ष्मी व्रत 14 सितंबर की शाम को देवी मां की पूजा अराधना के बाद सम्पूर्ण होगा. ऐसे में चलिए जानते है महालक्ष्मी व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और पूजा में लगने वाले सामग्रियों के बारे में विस्‍तार से…

महालक्ष्मी पूजन के लिए आवश्यक सामग्री

  • पूजा के लिये दो सूप
  • 16 मिट्टी के दिये
  • प्रसाद के लिये सफेद बर्फी
  • फूल माला
  • तारों को अर्घ्य देने के लिये यथेष्ट पात्र
  • 16 गांठ वाला लाल धागा और 16 चीजें
  • हर चीज सोलह की गिनती में होनी चाहिए. जैसे 16 लौंग, 16 इलायची या 16 सुहाग के सामान आदि.

पूजा का शुभ मुहूर्त 

महालक्ष्मी व्रत के दिन आप नीचे दिए गए शुभ मुहूर्तों में पूजा कर सकते हैं.

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:52 बजे से लेकर सुबह 05:39 बजे तक
  • प्रातः सन्ध्या मुहूर्त: सुबह 05:16 बजे से लेकर 06:26 बजे तक
  • अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:09 बजे से लेकर 12:58 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:42 बजे से लेकर 07:05 बजे तक
  • सायाह्न सन्ध्या: शाम 06:42 बजे से लेकर 07:52 बजे तक

अब बात करते हैं पूजा विधि के बारे में-

महालक्ष्मी व्रत के अंतिम दिन शाम के समय पूजा करना बेहद शुभ होता है.  इस दिन कैसे आपको शाम के वक्त पूजा करनी चाहिए, आइए जानते हैं.

  • शाम को पूजा के लिये सबसे पहले अपने हाथ में वही 16 गांठों वाला लाल धागा बांध लें, जो आपने व्रत के पहले दिन बांधा था.
  • इसके बाद माता महालक्ष्मी के आगे 16 देसी घी के दीपक जलायें, फूल चढ़ाइए, लेकिन ध्यान रहे देवी मां को कभी भी हरसिंगार का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए.
  • फिर एक सूप में सोलह चीजें सोलह-सोलह की संख्या में रखकर उसे दूसरे सूप से ढंक दें और उसे माता के निमित्त दान करने का संकल्प करें.
  • संकल्प के लिये- क्षीरोदार्णव सम्भूता लक्ष्मीश्चन्द्र सहोदरा. मंत्र का जाप करें.  इस प्रकार संकल्प लेकर उस सूप को वहीं रखा रहने दें.
  • अब दीपक में ज्योति जलाकर माता महालक्ष्मी के मंत्र का जाप कीजिये. – ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्री ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः.
  • आप पूजा शुरू करने से पहले ही इस मंत्र का अपनी इच्छानुसार संख्या में संकल्प लेकर रखिये. फिर जैसा आपने संकल्प किया हो, उसके हिसाब से मंत्र जप कीजिये.
  • इसके बाद माता महालक्ष्मी की आरती कीजिये और उन्हें सफेद मिठाई का भोग लगाइये.
  • इस प्रकार पूजा आदि के बाद तारों को जल से अर्घ्य दीजिये और आरती कीजिये.
  • वहीं, यदि आप विवाहित हैं तो अपने जीवनसाथी का हाथ पकड़कर, अन्यथा स्वयं ही तीन बार उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पुकारिये- हे माता महालक्ष्मी मेरे घर आ जाओ.
  • इसके बाद अपने लिये और माता महालक्ष्मी के लिये अलग-अलग थाली में भोजन निकालिये. यदि आप विवाहित हैं और आपने जोड़े में ये व्रत किया है, तो देवी मां और अपने साथ-साथ अपने जीवनसाथी के लिये भी थाली में भोजन निकालिये. हो सके तो माता महालक्ष्मी के लिये चांदी की थाली में भोजन निकालकर रखिये.
  • भोजन करने के बाद अपनी थालियां उठा लें, लेकिन माता की थाली को, किसी दूसरी थाली से ढक्कर वहीं पर रखा छोड़ दें.
  • अगले दिन सुबह माता के लिये निकाली थाली का भोजन किसी गाय को खिला दें और सूप में रखा हुआ दान का सामान किसी लक्ष्मी मंदिर में दान कर दें.
  • वहीं, 16 गांठों वाले धागे को अपनी तिजोरी में संभाल कर रख लें.  इस धागे को अपने पास रखने से आपके घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होगी और आपके घर की सुख-समृद्धि बनी रहेगी.

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