Rule for Puja: सनातन धर्म में पूजा पाठ का विशेष महत्व है. शास्त्रों में प्रतिदिन प्रभु की अराधना करने का वर्णन किया गया है. ऐसे में लगभग हर हिंदू प्रातः काल में स्नान के बाद पूजा करता है. पूजा-पाठ को लेकर कई नियम बताए गए हैं. हर नियम अपने आप में काफी खास होता है. आपने कई बार देखा होगा घर पर बने मंदिर में लोग खड़े होकर पूजा करते हैं. वहीं, कुछ लोग आराम से आसन लगाकर पूजा किया करते हैं.
हर पूजा का अलग विधि-विधान होता है. घर पर कुछ लोग आराम से बैठकर पूजा करते हैं तो वहीं, मंदिर में लोग खड़े होकर भी प्रभु को प्रणाम कर लेते हैं. ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल है कि पूजा खड़े होकर करनी चाहिए या फिर बैठकर. आइए आपको इसके बारे में बताते हैं.
किस तरीके से करें पूजा
आपने देखा होगा कि कई लोग घर में बने मंदिर में खड़े होकर पूजा करते हैं. वहीं, कुछ लोग आराम से आसन लगा कर पूजा किया करते हैं. अगर धार्मिक मान्यताओं की बात करें तो खड़े होकर पूजा नहीं करनी चाहिए. कई बार लोग जल्दबाजी में होते हैं और खड़े-खड़े पूजा कर लेते हैं. ये प्रभु की अराधाना का सही तरीका नहीं है. साफ आसन पर बैठकर ही पूजा करनी चाहिए. खड़े-खड़े पूजा करने से बचना चाहिए.
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इन बातों का रखना चाहिए खास ध्यान
कई बार आपने देखा होगा कि घर में भगवान को ऊंचाई पर रखते हैं. इस वजह से वह खड़े होकर ही पूजा करते हैं, लेकिन वास्तव में ये तरीका गलत है. पूजा करने के लिए पूजाघर में आसन बिछाएं. इसके बाद खुद को पवित्र करें. पूजा करने के बाद भगवान से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगे. पूजा करने के दौरान मन में भटकाव नहीं लाएं. शांत मन से पूजा करें.
क्यों नहीं करनी चाहिए खड़े होकर पूजा
आपको बता दें कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खड़े होकर पूजा करने को शुभ नहीं माना जाता है. पूजा करने के बाद आरती करने के लिए आसन पर खड़ा होना चाहिए, जिसे शुभ माना जाता है. पूजा करने और पाठ करने के दौरान आपको बैठे हुए होना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि अगर आप खड़े होकर पूजा करते हैं तो आपसे भगवान नाराज हो सकते हैं.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और ज्योतिष गणनाओं पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)