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केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में बताया कि अब तक राज्यों द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों के आधार पर कुल 20.33 करोड़ स्मार्ट मीटरों को स्वीकृति दी गई है, जिनमें से 4.76 करोड़ स्मार्ट मीटर अब तक स्थापित किए जा चुके हैं. विद्युत राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने राज्यसभा में एक सवाल का लिखित में उत्तर देते हुए कहा, पुनर्गठित वितरण क्षेत्र स्कीम (आरडीएसएस) के तहत राज्यों द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव के आधार पर 20.33 करोड़ स्मार्ट मीटर स्वीकृत किए गए हैं. इसके अलावा, कई राज्यों ने राज्य योजनाओं या बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाओं के तहत स्मार्ट मीटर स्थापित किए हैं.
अब तक देश में विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत 4.76 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं. RDSS के तहत स्मार्ट मीटरिंग कार्य सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से टोटेक्स (कुल व्यय, जिसमें पूंजीगत और परिचालन व्यय शामिल हैं) मोड में किया जा रहा है. एडवांस्ड मीटरिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर सर्विस प्रोवाइडर (एएमआईएसपी) मीटरिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की आपूर्ति, रखरखाव और स्थापना के बाद उसके संचालन के लिए जिम्मेदार है. स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं को उनके ऊर्जा उपयोग का वास्तविक समय डेटा प्रदान करते हैं.
इसके अलावा, फीडरों और डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मरों सहित सिस्टम और उपभोक्ता स्तर पर स्मार्ट मीटरों से उत्पन्न डेटा ऊर्जा उपयोग के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करता है और इसका उपयोग डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी द्वारा ऊर्जा ऑडिट करने के लिए किया जा रहा है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रीपेड स्मार्ट मीटरों की ओर बदलाव से उपभोक्ताओं के लिए बेहतर बजटिंग और यूटिलिटी के लिए बेहतर नकदी प्रवाह और बिलिंग दक्षता संभव हो सकेगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सबस्टेशन और ग्रिड स्तर पर निगरानी में विश्वसनीयता और दक्षता में सुधार के लिए आईटी प्रणालियों का स्वचालन और एकीकरण आवश्यक है.
आरडीएसएस के तहत एससीएडीए (Supervisory Control and Data Acquisition) और डीएमएस (Distribution Management System) प्रणालियां स्वीकृत की गई हैं. ये प्रणालियां दूरस्थ निगरानी और नियंत्रण के जरिए बिजली कटौती को कम करने और खराबी पर प्रतिक्रिया समय में सुधार करने में मदद करती हैं, जिससे विद्युत वितरण नेटवर्क की दक्षता और विश्वसनीयता बढ़ती है.