अदाणी इलेक्ट्रिसिटी ने विश्वसनीय और निष्पक्ष बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत किया है. कंपनी ने अपने पूरे वितरण नेटवर्क में मशीन लर्निंग (एमएल) और स्मार्ट मीटर डेटा पर आधारित उन्नत थेफ्ट प्रेडिक्शन तथा रेवेन्यू प्रोटेक्शन मॉड्यूल लागू किया है. इस पहल का उद्देश्य बिजली चोरी को रोकना, ईमानदार उपभोक्ताओं की सुरक्षा करना और एक अधिक पारदर्शी व कुशल ऊर्जा प्रणाली को बढ़ावा देना है. कंपनी के अनुसार, जनवरी 2025 से मशीन लर्निंग आधारित थेफ्ट प्रेडिक्शन मॉड्यूल के परिचालन के बाद अदाणी इलेक्ट्रिसिटी ने कुल 5.0 मिलियन यूनिट (एमयू) बिजली चोरी का पता लगाया है, जिसकी अनुमानित लागत 8.59 करोड़ रुपए है.
सतर्कता कार्रवाईयां उच्च-जोखिम वाले क्षेत्रों पर केंद्रित
हाल ही में इस तकनीक की मदद से मलाड (पश्चिम) स्थित एक इलेक्ट्रोप्लेटिंग यूनिट में सीधे कनेक्शन के माध्यम से की जा रही 0.4 मिलियन यूनिट (एमयू) की चोरी पकड़ी गई, जिसकी मौद्रिक अनुमानित लागत 87 लाख रुपए थी. इन अत्याधुनिक डिजिटल प्रणालियों के माध्यम से तेज और डेटा-आधारित कार्रवाई संभव हो पाती है, जिससे बिजली व्यवस्था में निष्पक्षता सुनिश्चित होती है और ईमानदार उपभोक्ताओं को अवैध उपयोग के आर्थिक बोझ से सुरक्षा मिलती है. अदाणी इलेक्ट्रिसिटी ने बताया कि सतर्कता कार्रवाईयां विशेष रूप से उच्च-जोखिम वाले क्षेत्रों पर केंद्रित हैं, जहां निगरानी और भरोसेमंद खुफिया सूचनाओं के आधार पर कदम उठाए जा रहे हैं.
ईमानदार उपभोक्ताओं को अवैध खपत के प्रभाव से प्रदान की सुरक्षा
मशीन लर्निंग (एमएल) मॉड्यूल के एकीकरण ने व्यापक चोरी विश्लेषण के माध्यम से प्रशासन और अनुपालन को और सशक्त किया है. इस तकनीक के लागू होने पर अदाणी इलेक्ट्रिसिटी के प्रवक्ता ने कहा, “हम विश्वसनीय और सुरक्षित बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. मशीन लर्निंग के एकीकरण ने बिजली चोरी का पता लगाने की क्षमता बढ़ाई है, निगरानी और संचालन को मजबूत किया है, और ईमानदार उपभोक्ताओं को अवैध खपत के प्रभाव से सुरक्षा प्रदान की है. यह हमारी स्मार्ट और पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा भविष्य की दिशा को दर्शाता है.”
बिजली चोरी के मामलों का पता लगाने की बढ़ाती गति
कंपनी के अनुसार, मशीन लर्निंग आधारित यह प्रणाली स्वचालित डेटा विश्लेषण करती है, पैटर्न-आधारित अनियमितताओं की पहचान करती है और बिजली चोरी के मामलों का पता लगाने की गति बढ़ाती है. यह प्रणाली उपभोक्ता प्रोफाइल और खपत पैटर्न का विश्लेषण करके संभावित मामलों की सटीक पहचान करती है, जिससे त्वरित कार्रवाई, लक्षित निरीक्षण और सोच-समझकर निर्णय लेना संभव होता है. डेटा-आधारित इस दृष्टिकोण से न केवल प्रवर्तन मजबूत होता है, बल्कि परिचालन लागत में भी कमी आती है, जिससे उपभोक्ताओं के लिए निष्पक्ष, पारदर्शी और विश्वसनीय बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होती है.

