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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
भारत में डायग्नोस्टिक रेडियोलॉजी डिवाइस (Diagnostic Radiology Device) को अपनाने में शानदार वृद्धि दर्ज की जा रही है, जिसमें एआई-पावर्ड टेक्नोलॉजीज और रिमोट मॉनिटरिंग सॉल्यूशन को अपनाने में तेजी देखी गई है. शुक्रवार को आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. टेक-इनेबल्ड मार्केट इंटेलिजेंस फर्म 1लैटिस की रिपोर्ट में भी इस वृद्धि का श्रेय बीमारी के बढ़ते बोझ और स्वास्थ्य सेवा के इंफ्रास्ट्रक्चर में बढ़ते निवेश को दिया गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में 1.48 लाख रेडियोलॉजी डिवाइस रजिस्टर्ड किए गए हैं, जिनमें 20,590 डिवाइस के साथ महाराष्ट्र, 15,267 डिवाइस के साथ तमिलनाडु और 12,236 डिवाइस के साथ उत्तर प्रदेश का नाम सबसे आगे है.
ये आंकड़े शहरी केंद्रों से परे भी डायग्नोस्टिक सेवाओं के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण की ओर व्यापक रुझान को दर्शाते हैं. लैटिस के हेल्थकेयर और लाइफसाइंसेज के निदेशक संजय सचदेवा (Sanjay Sachdeva) ने कहा, रेडियोलॉजी अब अस्पताल आधारित विशेषज्ञता से प्राथमिक और निवारक देखभाल की आधारशिला बन गई है. एआई, पोर्टेबिलिटी और रिमोट मॉनिटरिंग के साथ आने से पहुंच आसान हो रही है, सटीकता में सुधार हो रहा है और भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में डायग्नोस्टिक्स की डिलीवरी को नया आकार मिल रहा है.
एआई-पावर्ड रिमोट पेशेंट मॉनिटरिंग (आरपीएम) से रेडियोलॉजी का प्रभाव और भी बढ़ जाता है, जिससे रियल-टाइम ट्रैकिंग संभव हो जाती है और रिमोट हेल्थ मॉनिटरिंग के माध्यम से बार-बार व्यक्तिगत रूप से आने की आवश्यकता कम हो जाती है. रेडियोलॉजी उपकरण बाजार में वैश्विक स्तर पर मजबूत वृद्धि की उम्मीद है. वैश्विक बाजार के 2025 में 34 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2030 तक 43 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो 5% सीएजीआर को दर्शाता है_ दूसरी ओर, रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रेडियोलॉजी इक्विपमेंट मार्केट वित्त वर्ष 2025 में 7.1 बिलियन डॉलर से बढ़कर FY30 तक 13.5 बिलियन डॉलर हो जाएगा, जो 10% सीएजीआर के साथ वैश्विक विकास को पीछे छोड़ देगा.
विकास के कारकों में डिजिटल रेडियोग्राफी और अल्ट्रासाउंड में तकनीकी प्रगति, कैंसर और हृदय संबंधी स्थितियों जैसी पुरानी बीमारियों में वृद्धि, आयुष्मान भारत और नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन (एनडीएचएम) जैसी सरकारी योजनाएं शामिल हैं. जैसे-जैसे भारत में स्वास्थ्य सेवा वितरण अधिक विकेन्द्रित और तकनीक-संचालित होता जाएगा, रेडियोलॉजी समय पर और सटीक निदान के माध्यम से परिणाम प्राप्त करने में केंद्रित होगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र को अभी भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें एडवांस इक्विपमेंट की उच्च लागत, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच असमान पहुंच और रेडिएशन एक्सपोजर को लेकर चल रही चिंताएं शामिल हैं.