भारत के गैर-स्मार्टफोन इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में $14 बिलियन का आंकड़ा किया पार

Shivam
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सिर्फ़ स्मार्टफ़ोन ही नहीं, बल्कि सेमीकंडक्टर निवेश और नीतिगत सहयोग भी भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात को मज़बूती दे रहे हैं. बढ़ती वैश्विक मांग के बीच देश ने 2030 तक 200 अरब डॉलर के लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाए हैं.

इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर निर्यात संवर्धन परिषद (ESC) के अनुसार, FY24-25 में भारत का गैर-स्मार्टफ़ोन इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 14 अरब डॉलर से ऊपर पहुँच गया, जिसने कुल इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात को रिकॉर्ड 38.57 अरब डॉलर तक पहुँचा दिया.

भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि

इस क्षेत्र में सालाना 32.47% की वृद्धि दर्ज की गई, और अब इलेक्ट्रॉनिक्स भारत के कुल माल निर्यात का 9% हिस्सा बन चुका है, जबकि पिछले वर्ष यह आँकड़ा 6.73% था. स्मार्टफोन सबसे ज़्यादा प्रभावित करने वाले रहे, लेकिन गैर-स्मार्टफोन श्रेणियों में भी अच्छी तेज़ी देखी गई.

फोटोवोल्टिक सेल ने 1.12 अरब डॉलर, दूरसंचार उपकरण और पुर्जों ने 1.4 अरब डॉलर, और रेक्टिफायर, इन्वर्टर और चार्जर ने कुल मिलाकर 2.5 अरब डॉलर से ज़्यादा का कारोबार किया. मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स ने 0.4 अरब डॉलर का योगदान दिया, जबकि पीसी और डिजिटल प्रोसेसिंग यूनिट्स ने 0.81 अरब डॉलर का योगदान दिया.

राज्यों में तमिलनाडु अग्रणी

राज्य स्तरीय प्रदर्शन के अनुसार तमिलनाडु 14.65 बिलियन डॉलर के साथ शीर्ष निर्यातक रहा, जिसके बाद कर्नाटक 7.8 बिलियन डॉलर, उत्तर प्रदेश 5.26 बिलियन डॉलर, महाराष्ट्र 3.5 बिलियन डॉलर तथा गुजरात 1.85 बिलियन डॉलर के साथ दूसरे स्थान पर रहा.

ईएससी अधिकारियों ने बताया कि सेमीकंडक्टर निवेश और नीतिगत समर्थन से भारत के निर्यात में तेज़ी आ रही है. सरकार ने हाल ही में ओडिशा, पंजाब और आंध्र प्रदेश में ₹46 अरब की लागत वाली चार नई चिप इकाइयों को मंज़ूरी दी है, साथ ही गुजरात में माइक्रोन की ₹225.16 अरब की एटीएमपी सुविधा और धोलेरा में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स की ₹910 अरब की फैब जैसी बड़ी परियोजनाओं को भी मंज़ूरी दी है.

इसके अलावा, आगामी इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ईसीएमएस) से भी घरेलू आपूर्ति श्रृंखलाओं को मज़बूती मिलने और आयात पर निर्भरता कम होने की उम्मीद है. ईएससी के अनुसार , उत्पादन-आधारित प्रोत्साहनों, कर सुधारों, कौशल विकास पहलों और लघु एवं मध्यम उद्यमों (एसएमई) की सहायता से विकास को बल मिल रहा है, और भारत ने 2030 तक 200 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात का लक्ष्य रखा है.

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