अप्रैल-मई में 54% बढ़ा केंद्र सरकार का पूंजीगत व्यय, Tax रेवेन्यू में 10 फीसदी की बढ़ोतरी

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों के दौरान पूंजीगत व्यय में 54% से अधिक की वृद्धि हुई. हालांकि, इससे राजकोषीय घाटे पर ज्यादा असर नहीं पड़ा] क्योंकि केंद्र ने आरबीआई अधिशेष के सहारे 13,000 करोड़ रुपये से थोड़ा अधिक का राजकोषीय घाटा दर्ज किया. महालेखा नियंत्रक (CGA) द्वारा जारी आंकड़ों के तुताबिक, केंद्र को 7.32 लाख करोड़ से अधिक प्राप्त हुए, जो बजट अनुमान (बीई) का 21% है. इसमें 3.5 लाख करोड़ से अधिक शुद्ध कर संग्रह और 3.56 लाख करोड़ से अधिक गैर-कर राजस्व शामिल हैं. इसका मतलब है कि कर राजस्व में 10% की वृद्धि हुई. जबकि, गैर-कर राजस्व में सालाना आधार पर 41.8% की वृद्धि हुई.
इस अवधि में भारत सरकार द्वारा करों के हिस्से के हस्तांतरण के रूप में राज्य सरकारों को 1.63 लाख करोड़ से अधिक हस्तांतरित किए गए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 23,720 करोड़ अधिक है. इस अवधि के दौरान, सरकार ने 7.46 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए, जो कि बजट अनुमान का करीब 15% है. व्यय में राजस्व खाते पर 5.24 लाख करोड़ रुपये से अधिक और पूंजीगत व्यय के रूप में 2.21 लाख करोड़ रुपये से अधिक शामिल थे. आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर के मुताबिक, हालांकि अप्रैल-मई 2025 में पूंजीगत व्यय में 54% की वृद्धि हुई, लेकिन यह कम आधार पर था और वृद्धि की सीमा अप्रैल-मई 2023 में देखे गए स्तरों की तुलना में 32% पर कुछ कम थी.
फिर भी, पूंजीगत व्यय FY26 के बजट अनुमान का 20% हा, और भले ही FY26 के शेष 10 महीनों में इसमें 1% की कमी आए, फिर भी यह लक्ष्य को पूरा करता है. उन्होंने कहा, “प्राप्तियों के पक्ष में बफर को देखते हुए, आईसीआरए का मानना ​​है कि भारत सरकार बजट अनुमान के सापेक्ष वित्त वर्ष 26 में पूंजीगत व्यय में 0.8 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि कर सकती है, जिससे मुख्य आंकड़ा लगभग 12 लाख करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 26 के बजट अनुमान 11.2 लाख करोड़ रुपये की तुलना में) हो जाएगा, और इसमें वार्षिक वृद्धि दर 14.2 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी.”
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत ने कहा कि वित्त वर्ष 26 की शुरुआत से घरेलू और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य दोनों बदल गए हैं. अर्थव्यवस्था अनुकूल परिस्थितियों के साथ-साथ प्रतिकूल परिस्थितियों का भी सामना कर रही है. वित्त वर्ष 26 के राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों की प्राप्ति के बारे में कोई निष्कर्ष निकालना अभी जल्दबाजी होगी. उन्होंने कहा, “कर संग्रह में धीमी वृद्धि चिंता का विषय है, गैर-कर संग्रह और गैर-ऋण सृजन पूंजी प्राप्तियां दोनों ही उत्साहजनक रही हैं और वित्त वर्ष 26 के कर संग्रह में गिरावट की भरपाई कर सकती हैं.”

More Articles Like This

Exit mobile version