International Transport Route: चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का दायरा ग्लोबल ट्रेड इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगातार बढ़ता जा रहा है. जानकारी के मुताबिक, भारत इस पर काफी समय से निर्भर था लेकिन अब इस पर निर्भरता को कम करने के लिए भारत दूसरा रूट की तलाश में है.
इस दौरान ऐसा करने के लिए पास एक ही रास्ता है ट्रांस-कैस्पियन इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट रूट (TITR), जिसे मिडिल कॉरिडोर भी कहा जाता है. बता दें कि कजाकिस्तान के नेतृत्व में इस पर तेजी से काम चल रहा है. प्राप्त जानकारी के अनुसार साल 2013 में चीन ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का ऐलान करते हुए बताया था कि इसका मकसद जमीन और समुद्र के रास्ते से कई महाद्वीपों को जोड़ना है.
भारत ने किया हमेशा से विरोध
दरअसल भारत BRI की कुछ बातों को पसंद नहीं करता. जैसे कि चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) का पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के रास्ते से गुजरना. भारत ने हमेशा से इसका विरोध किया है. ऐसे में भारत का कहना है कि इससे उनकी क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन होता है. फिलहाल अब जिस रूट पर काम चल रहा है उसकी शुरुआत बीजिंग से नहीं, बल्कि कजाकिस्तान से होती है.
इस नेटवर्क पर कजाकिस्तान कर रहा निवेश
रिपोर्ट के मुताबिक, इस मिडिल कॉरिडोर के जरिए कजाकिस्तान यूरेशिया का लॉजिस्टिक्स हब बन रहा है. हालांकि सीधे तौर पर भारत इस नेटवर्क से नहीं जुड़ा हुआ है, लेकिन इस पर काम तेजी से आगे बढ़ने से भारत को BRI पर निर्भरता कम करने और अपने ट्रेड रूट्स में विविधता लाने का मौका मिल सकता है. इस दौरान कजाकिस्तान के परिवहन मंत्रालय का कहना है कि 2024 में TITR पर ट्रैफिक 62 परसेंट बढ़कर 4.5 मिलियन टन तक पहुंच गया है. जानकारी के मुताबिक, 2025 तक टारगेट 5.2 मिलियन टन और 70,000 TEU है.
11,000 किलोमीटर की रेल लाइनों का अपग्रेड
जानकारी के मुताबिक, अपने लॉजिस्टिक नेटवर्क में कजाकिस्तान बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है. 2025 में अकेले इसका प्लान 13,000 किलोमीटर लंबी सड़कों और 6,100 किलोमीटर रेलवे रूट का मॉर्डनाइजेशन करना है. उन्होंने कहा है कि छह एयरपोर्ट्स का भी दायरा आगे बढ़ाना है और अकटौ में 240,000 TEUs की कैपेसिटी वाले एक कंटेनर हब सहित नए समुद्री टर्मिनल बनाने का भी प्लान है. ऐसे में 2029 तक 11,000 किलोमीटर की अन्य रेल लाइनों को भी अपग्रेड किया जाएगा.
व्यापार के लिए स्वेज नहर मार्ग काफी जरूरी
बता दें कि भारत के विदेशी व्यापार का लगभग 95 परसेंट समुद्र के रास्ते से होता है. इस दौरान यूरोप, नॉर्थ अफ्रीका और अमेरिका के साथ व्यापार करने के लिए स्वेज नहर वाला मार्ग काफी मायने रखता है. जानकारी के मुताबिक, भारत का कुल विदेशी व्यापार 35 परसेंट इसी रास्ते से होता है. इसके साथ खबर सामने आई है कि लाल सागर में हूती विद्रोहियों के दबदबे से संघर्ष का माहौल है इसलिए ज्यादातर ग्लोबल कंटेनर शिपिंग कंपनियां स्वेज नहर से बचने और इसके बजाय केप ऑफ गुड होप के आसपास का रूट पकड़ रही है.
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