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इस्पात मंत्रालय (Ministry of Steel) ने कहा कि मंत्रालय ने 151 BIS स्टैंडर्ड के प्रवर्तन के लिए क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर्स जारी किए हैं. बता दें कि इससे पहले क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर्स (Quality Control Orders) अगस्त 2024 में जारी किए गए थे, उसके बाद से कोई नया आदेश जारी नहीं किया गया है. मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि 13 जून का आदेश केवल यह स्पष्ट करने के लिए था कि बीआईएस स्टैंडर्ड के तहत अंतिम उत्पादों के निर्माण के लिए मध्यवर्ती सामग्री के मामले में, स्टील उत्पादों को भी मध्यवर्ती उत्पादों के लिए निर्धारित बीआईएस स्टैंडर्ड का पालन करना होगा.
बीआईएस स्टैंडर्ड का अनुपालन आवश्यक
मंत्रालय ने कहा कि 13 जून का आदेश आयातकों और स्टील के घरेलू उत्पादकों के बीच समानता लाने के लिए आवश्यक था. वर्तमान में भारतीय स्टील उत्पाद निर्माताओं को केवल बीआईएस स्टैंडर्ड-अनुरूप मध्यवर्ती सामग्री का उपयोग करना पड़ता है, जबकि आयातकों द्वारा स्टील उत्पादों के आयात के लिए ऐसी कोई आवश्यकता महसूस नहीं की गई थी. मंत्रालय के मुताबिक, इसे देखते हुए आदेश यह सुनिश्चित करने में भी मदद करेगा कि मध्यवर्ती उत्पादों के लिए बीआईएस स्टैंडर्ड का अनुपालन आवश्यक है साथ ही यह सुनिश्चित किया जा सके कि तैयार उत्पाद बीआईएस स्टैंडर्ड द्वारा दी गई गुणवत्ता आवश्यकता के अनुसार है.
दुनिया की एकमात्र तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है भारत
अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो अंतिम उत्पाद घटिया हो सकता है. मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि आदेश का उद्देश्य घटिया स्टील के आयात की संभावना की जांच करना भी है. कुछ देशों में अतिरिक्त क्षमता और घटती खपत के कारण घटिया स्टील की डंपिंग की बड़ी संभावना है. भारत क्योंकि दुनिया की एकमात्र तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है, इसलिए जब तक गुणवत्ता वाले स्टील के आयात के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए जाते हैं, तब तक सस्ते स्टील के भारतीय बाजार में धकेले जाने की बहुत अधिक संभावना है.
बीआईएस प्रमाणन प्रक्रिया पूरी मैन्युफैक्चरिंग चेन का रखती है ख्याल
मंत्रालय के बयान में आगे बताया गया है कि इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट, जो मध्यवर्ती उत्पाद और तैयार उत्पाद खुद बनाते हैं और जिन्हें BIS license जारी किया गया है, उन्हें सभी चरणों के लिए अलग-अलग लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि बीआईएस प्रमाणन प्रक्रिया पूरी मैन्युफैक्चरिंग चेन का ख्याल रखती है. भारत एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था है जहां पिछले तीन वर्षों में स्टील की खपत 12% से अधिक की दर से बढ़ी है. इसके विपरीत, दूसरे भौगोलिक क्षेत्रों में स्टील की खपत या तो स्थिर है या घट रही है. स्टील की खपत में यह तेज वृद्धि भारत सरकार द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने, इमारतों और रियल एस्टेट में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के विकास और देश में पूंजीगत वस्तुओं के बढ़ते विनिर्माण पर जोर देने के कारण है.
स्टील उद्योग की क्षमता विस्तार योजनाओं पर पड़ेगा प्रतिकूल प्रभाव
इस स्टील मांग को पूरा करने के लिए देश को 2030 तक करीब 300 मीट्रिक टन स्टील क्षमता और 2035 तक 400 मीट्रिक टन स्टील क्षमता की आवश्यकता होगी. इस क्षमता निर्माण के लिए 2035 तक करीब 200 बिलियन डॉलर की पूंजी की आवश्यकता होगी. मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि अगर घटिया सस्ते स्टील के आयात से घरेलू स्टील उद्योग प्रभावित होते हैं, तो इस पूंजी को लगाने की उनकी क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और स्टील उद्योग की क्षमता विस्तार योजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.