E-Governance: डिजिटल क्रांति से विकसित भारत की नई सुबह

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
भारत ने 2047 तक विकसित भारत बनने का संकल्प लिया है और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शासन व्यवस्था में ई-गवर्नेंस का समावेश एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में, ई-गवर्नेंस (E-Governance) ने सरकार के कार्यों को पारदर्शी, दक्ष और नागरिकों के अनुकूल बनाने के लिए तकनीकी इंटीग्रेशन का मार्ग प्रशस्त किया है.

E-Governance क्या है?

E-Governance, यानी इलेक्ट्रॉनिक गवर्नेंस, एक प्रणाली है, जिसमें सरकारी सेवाएं, जानकारी, और संचार तकनीकी उपकरणों के माध्यम से प्रदान की जाती हैं. इसका मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिकों के लिए बेहतर सेवाएं प्रदान करना है. यह राज्य और समाज के बीच की खाई को पाटने और एक समावेशी प्रशासनिक प्रणाली को साकार करने की दिशा में काम करता है.

E-Governance के सिद्धांत: स्मार्ट गवर्नेंस

E-Governance का मुख्य उद्देश्य SMART गवर्नेंस (Simple, Moral, Accountable, Responsive, Transparent) के सिद्धांतों पर आधारित है। इसके लिए चार प्रमुख स्तंभ हैं:
लोग: यह सभी नागरिकों के लिए सेवाओं को सुलभ बनाने का काम करता है.
प्रक्रिया: सरकारी प्रक्रियाओं को सरल और नागरिक केंद्रित बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है.
प्रौद्योगिकी: प्रशासनिक कार्यों के डिजिटल परिवर्तन के लिए आवश्यक सभी उपकरण.
संसाधन: वित्तीय और मानव संसाधन का कुशल प्रबंधन.

ई-गवर्नेंस के विभिन्न मॉडल

ई-गवर्नेंस के कई प्रमुख मॉडल हैं:
  • Government-to-Citizen (G2C): नागरिकों को सरकारी सेवाओं जैसे ऑनलाइन बिल भुगतान, प्रमाणपत्र और अनुमति आवेदन.
  • Government-to-Business (G2B): सरकार और व्यवसायों के बीच आसान संपर्क और लेन-देन.
  • Government-to-Government (G2G): विभिन्न सरकारी विभागों के बीच बेहतर संचार और सूचना का आदान-प्रदान.
  • Government-to-Employee (G2E): सरकारी कर्मचारियों के लिए सेवाओं का डिजिटल प्रबंधन.

भारत में ई-गवर्नेंस का विकास

भारत का ई-गवर्नेंस यात्रा 1970 के दशक में सरकारी कार्यालयों के कंप्यूटरीकरण से शुरू हुई थी. 2006 में नेशनल ई-गवर्नेंस प्लान की शुरुआत के बाद से यह दिशा और स्पष्ट हुई। इसके तहत 27 मिशन मोड प्रोजेक्ट्स शुरू किए गए. इसके बाद, ई-क्रांति और डिजिटल इंडिया मिशन ने इस दिशा में और भी कदम बढ़ाए. आधार, UMANG ऐप, भारतनेट जैसी योजनाओं ने ई-गवर्नेंस को और सशक्त किया. इन पहलों से सरकारी सेवाएं और योजनाएं पहले से कहीं अधिक सुलभ हो गई हैं.

ई-गवर्नेंस के फायदे और चुनौतियां

ई-गवर्नेंस के कई फायदे हैं:
  • पारदर्शिता: सरकारी कार्यों में अधिक पारदर्शिता आई है.
  • समय की बचत: नागरिक अब घर बैठे सेवाओं का लाभ ले सकते हैं, जिससे समय और संसाधनों की बचत होती है.
  • समानता: डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) ने सब्सिडी और अन्य भुगतान सीधे लाभार्थियों तक पहुंचाए हैं, जिससे वित्तीय समावेशन बढ़ा है.

हालांकि, कुछ चुनौतियाँ भी हैं

डिजिटल डिवाइड: ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल अवसंरचना की कमी अब भी एक बड़ी समस्या है.
साइबर सुरक्षा: संवेदनशील डेटा के डिजिटल होने से सुरक्षा और गोपनीयता को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं
डिजिटल साक्षरता: नागरिकों और सरकारी कर्मचारियों में डिजिटल साक्षरता की कमी भी एक बड़ी बाधा बनती है.

आगे का रास्ता: डिजिटल विभाजन को समाप्त करना

भारत में ई-गवर्नेंस को पूरी तरह से लागू करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है:
  • अंतिम मील कनेक्टिविटी: इंटरनेट और डिजिटल उपकरणों की सुलभता सुनिश्चित करना.
  • डिजिटल साक्षरता में वृद्धि: नागरिकों और अधिकारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम.
  • मल्टी-लिंग्वल प्लेटफॉर्म: भाषा की बाधाओं को दूर करने के लिए प्लेटफॉर्मों का विकास.
भारत का ई-गवर्नेंस की दिशा में किया गया प्रयास, पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिकों के लिए बेहतर सेवाओं की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है. विकसित भारत के लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए, ई-गवर्नेंस भारत के शासन तंत्र को एक नई दिशा और क्षमता प्रदान करेगा.
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