फेसबुक की प्राइवेसी पॉलिसीज़ भ्रामक… मार्क जुकरबर्ग के खिलाफ ट्रायल शुरू

Raginee Rai
Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Raginee Rai
Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Mark Zuckerberg trial 2025: मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और कपंनी क अन्य मौजूदा व पूर्व अधिकारियों के खिलाफ दायर 8 अरब अमेरिकी डॉलर के मुकदमे का ट्रायल गुरुवार को शुरू हो गया. यह मामला  मेटा प्लेटफॉर्म्स के शेयरधारकों ने किया है. एक खबर के अनुसार, आरोप है कि मेटा (पूर्व में फेसबुक) ने साल 2012 में अमेरिकी फेडरल ट्रेड कमीशन (FTC) के साथ हुए समझौते का उल्लंघन करते हुए फेसबुक यूजर्स का डेटा अवैध रूप से स्टोर किया है. ऐसे में आगामी दिनों में जुकरबर्ग के लिए चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां उत्‍पन्‍न हो सकती हैं.

नील रिचर्ड्स की गवाही से ट्रायल की शुरुआत

खबर के अनुसार, ट्रायल की शुरुआत वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी लॉ स्कूल के प्राइवेसी एक्सपर्ट नील रिचर्ड्स की गवाही से हुई, जिन्होंने अदालत में कहा कि फेसबुक की प्राइवेसी पॉलिसीज़ भ्रामक थीं. इस गैर-जूरी ट्रायल की सुनवाई डेलावेयर चांसरी कोर्ट की चीफ जज कैथलीन मैककॉर्मिक कर रही हैं. ये वही जज हैं जिन्होंने पिछले वर्ष एलन मस्क का 56 अरब डॉलर का टेस्ला पे पैकेज रद्द कर दिया था.

इस मुकदमे में जुकरबर्ग के साथ शेरिल सैंडबर्ग, मेटा की पूर्व सीओओ मार्क आंद्रेसेन, वेंचर कैपिटलिस्ट और बोर्ड मेंबर पीटर थील, पालेंटियर टेक्नोलॉजीज के को-फाउंडर रीड हेस्टिंग्स, नेटफ्लिक्स को-फाउंडर व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ जेफ्री जायंट्स के नाम भी शामिल हैं.

कैसे शुरू हुआ ये केस?

मेटा प्राइवेसी से जुड़ा यह मामला 2018 में तब शुरू हुआ, जब खुलासा हुआ कि कैम्ब्रिज एनालिटिका नाम की राजनीतिक कंसल्टिंग फर्म ने करोड़ों फेसबुक यूज़र्स का डेटा एक्सेस किया था. यह फर्म साल 2016 में डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति चुनावी मुहिम के लिए काम कर रही थी. एफटीसी ने इस डेटा लीक के बाद फेसबुक पर 5 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया था, आरोप था कि कंपनी ने 2012 के सहमति आदेश का उल्लंघन किया. अब मेटा के शेयरहोल्‍डर यह चाहते हैं कि एफटीसी का जुर्माना और दूसरे कानूनी खर्च- कुल मिलाकर 8 अरब डॉलर कंपनी के दोषी अधिकारियों से वसूले जाएं.

हालांकि, मेटा या मार्क जुकरबर्ग ने अब तक कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है. कोर्ट फाइलिंग्स में प्रतिवादियों ने आरोपों को अत्यधिक बताया है. इसके साथ ही कहा है कि फेसबुक ने एफटीसी के साथ हुए समझौते के पालन के लिए बाहरी कंसल्टिंग फर्म को नियुक्त किया था. वास्‍तव में फेसबुक कैम्ब्रिज एनालिटिका की धोखाधड़ी का शिकार हुआ.

केस की कितनी है अहमियत

यह मुकदमा केयरमार्क दावा की श्रेणी में आता है- यानी बोर्ड सदस्यों पर आरोप है कि उन्होंने कंपनी पर पर्याप्त निगरानी नहीं रखी. डेलावेयर कॉर्पोरेट कानून में मामले सबसे मुश्किल माने जाते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में कोर्ट ऐसे मामलों को सुनवाई के लिए स्वीकार कर रही है. मेटा ट्रायल ऐसे वक्‍त में शुरू हुआ है जब डेलावेयर में कॉर्पोरेट कानून में बदलाव किए गए हैं ताकि जुकरबर्ग जैसे नियंत्रण रखने वाले शेयरधारकों के खिलाफ मुकदमा चलाना और मुश्किल हो सके.

ये भी पढ़ें :- US: अलास्का में भूकंप से कांपी धरती, रिक्टर स्केल पर इतनी रही तीव्रता

 

Latest News

18 July 2025 Ka Panchang: शुक्रवार का पंचांग, जानिए शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय

18 July 2025 Ka Panchang: हिंदू धर्म में किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ और अशुभ मुहूर्त देखा...

More Articles Like This