वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय निर्यात बढ़ाने की सरकार की रणनीति के तहत ई-कॉमर्स के इन्वेंट्री-आधारित मॉडल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति देने पर विचार कर रहा है. इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए मंत्रालय ने केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों से सुझाव और राय मांगी हैं. वरिष्ठ अधिकारियों ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से निर्यात को बढ़ावा देने की संभावनाओं को उजागर करने के लिए चीन का उदाहरण भी दिया.
इन्वेंट्री-आधारित मॉडल में प्रतिबंधित है एफडीआई
वर्तमान में भारत की एफडीआई नीति ई-कॉमर्स के मार्केटप्लेस मॉडल में 100% विदेशी निवेश की अनुमति देती है, जहां अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां खरीदार और विक्रेता को जोड़ने का काम करती हैं, लेकिन इन्वेंट्री की मालिक नहीं होती. हालांकि, इन्वेंट्री-आधारित मॉडल में एफडीआई प्रतिबंधित है, जहां ई-कॉमर्स संस्था सीधे उपभोक्ताओं को अपनी इन्वेंट्री बेचती है. हालांकि कुछ विशिष्ट अपवाद निर्माताओं को अपने उत्पाद बेचने और एकल-ब्रांड खुदरा विक्रेताओं को ई-कॉमर्स के माध्यम से काम करने की अनुमति देते हैं.
बढ़ रहा है भारत का ई-कॉमर्स निर्यात
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी संकेत दिया है कि सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों को केवल निर्यात के लिए इन्वेंट्री रखने की अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है. भारत का ई-कॉमर्स निर्यात बढ़ रहा है और वर्तमान में लगभग 4-5 बिलियन डॉलर है और सरकार का लक्ष्य इसे 2030 तक 200-300 बिलियन डॉलर ले जाने का है. लोकप्रिय निर्यात उत्पादों में कपड़े, होम डेकोर, हैंडीक्राफ्ट, ऑर्गेनिक ब्यूटी प्रोडक्ट्स, खिलौने और इलेक्ट्रॉनिक सामान शामिल हैं.
ई-कॉमर्स पर एक विशेष अध्याय शामिल
विदेश व्यापार नीति 2023 में डिजिटल अर्थव्यवस्था में सीमा-पार व्यापार को बढ़ावा देने के लिए ई-कॉमर्स पर एक विशेष अध्याय शामिल किया गया है, जो सरकार की ई-कॉमर्स के माध्यम से निर्यात बढ़ाने की पहल को दर्शाता है. इसके तहत सरकार निजी क्षेत्र के साथ मिलकर ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र स्थापित करने की योजना भी बना रही है. इसके अलावा, डिजिटल इंडिया कार्यक्रमों ने ऑनलाइन भुगतान को आसान बनाकर और ग्राहक वेरीफिकेशन को सरल बनाकर मदद की है.