जीएसटी सुधार ने उत्तर प्रदेश की विविध अर्थव्यवस्था को लक्षित राहत प्रदान की है. इसमें जीआई-पंजीकृत कालीन. पीतल के बर्तन. जरदोजी. जूते. चीनी मिट्टी के उत्पाद. खेल के सामान और सीमेंट जैसे प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं. गुरुवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि कम कर दरों से परिवारों की सामर्थ्य में सुधार होगा. कारीगरों पर कार्यशील पूंजी का दबाव कम होगा। साथ ही घरेलू और वैश्विक दोनों बाजारों में एमएसएमई की प्रतिस्पर्धात्मकता को भी मजबूती मिलेगी.
लकड़ी के सामान के 6-7% सस्ते होने की उम्मीद
जीएसटी में टैक्स की दरें कम होने से भदोही के कालीन, मुरादाबाद के पीतल के बर्तन और सहारनपुर के लकड़ी के सामान के 6-7% सस्ते होने की उम्मीद है, जिससे निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और लाखों कारीगरों के रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। भदोही-मिर्जापुर-जौनपुर क्षेत्र भारत के सबसे बड़े हाथ से बुने और बुने हुए कालीन क्लस्टर में से एक है. जीएसटी दर 12% से घटाकर 5% करने के बाद, हाथ बने कालीन सस्ते हो गए हैं.
चमड़ा और फुटवियर क्लस्टरों को मिलेगा लाभ
कानपुर-आगरा क्षेत्र में स्थित चमड़ा और फुटवियर क्लस्टरों को भी जीएसटी दरों में कटौती से लाभ मिलेगा. ये क्लस्टर करीब 15 लाख श्रमिकों को रोजगार प्रदान करते हैं. इस राहत से एमएसएमई की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होगा और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा. जीएसटी सुधारों से उत्तर प्रदेश में लकड़ी के खिलौनों और शिल्प क्षेत्र को भी प्रोत्साहन मिलेगा. यह क्षेत्र पारंपरिक रूप से पारिवारिक कारीगरों द्वारा संचालित होता है, जिनमें से कई अपने घरों से काम करते हैं.
रामपुर भी इस पारंपरिक शिल्प नेटवर्क का है हिस्सा
केवल वाराणसी और चित्रकूट के क्लस्टर करीब 15,000 से 25,000 कारीगरों को रोजगार प्रदान करते हैं. वहीं सहारनपुर में लकड़ी की नक्काशी और कारीगरी से जुड़े हजारों शिल्पकार सक्रिय हैं. रामपुर भी इस पारंपरिक शिल्प नेटवर्क का हिस्सा है. ये क्लस्टर मेलों, धार्मिक खिलौनों और सजावट के माध्यम से मजबूत घरेलू मांग को पूरा करते हैं और इनसे यूरोप और खाड़ी देशों तक मामूली निर्यात भी होता है। जीएसटी को 12% से घटाकर 5% करने से खिलौने और छोटे शिल्प सस्ते होने की उम्मीद है, जिससे स्थानीय बाजारों में उनकी सामर्थ्य बढ़ेगी और कारीगरों को मशीन-निर्मित प्लास्टिक उत्पादों से प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी.
जीएसटी सुधारों का लाभ उत्तर प्रदेश के मेरठ और मोदीनगर स्थित खेल सामग्री क्लस्टरों को भी मिलेगा. इन क्षेत्रों में लगभग 30,000 से 35,000 श्रमिक छोटी इकाइयों, एमएसएमई और बड़े कारखानों में कार्यरत हैं. यह क्लस्टर घरेलू बाजार के लिए करीब 250 करोड़ रुपये मूल्य के क्रिकेट और हॉकी उपकरणों का उत्पादन करता है. साथ ही यह क्षेत्र यूके, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और मध्य पूर्व जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी निर्यात करता है.