जीएसटी सुधारों का असर देश में खपत पर सीधे देखा जा रहा है. सितंबर-अक्टूबर अवधि में जीएसटी के अंतर्गत आने वाली वस्तुओं की आपूर्ति का कर योग्य मूल्य 15% बढ़ गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह सिर्फ 8.6% था. यह जानकारी सोमवार को सरकारी सूत्रों ने दी. सरकारी सूत्रों के अनुसार, वस्तुओं की आपूर्ति का कर योग्य मूल्य बढ़ना इस बात को दर्शाता है कि जीएसटी दरों में कमी के बाद खपत में मजबूती आई है.
खपत में बढ़ाने में मिली मदद
सरकार की ओर से जीएसटी के लाभों से लोगों को अवगत कराने के लिए बचत उत्सव की भी शुरुआत की थी. इससे खपत में बढ़ाने में मदद मिली है. सूत्रों के मुताबिक, जिन सेक्टर में मजबूत वृद्धि देखी गई है. उनमें एफएमसीजी, फार्मा, फूड प्रोडक्ट्स, ऑटोमोबाइल, मेडिकल डिवाइस और टेक्सटाइल शामिल हैं. इन सेक्टरों का मजबूत होना दिखाता है कि जीएसटी में कमी से ग्राहक खर्च को बढ़ावा मिला है. सरकारी सूत्रों ने बताया कि यह वृद्धि मूल्य के संदर्भ में है, क्योंकि जीएसटी दरें कम थीं, इसलिए मात्रा के संदर्भ में वृद्धि और भी अधिक होगी.
GST सुधारों ने बड़े पैमाने पर उपभोग को बढ़ाने में की मदद
यह दिखाता है कि अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों ने बड़े पैमाने पर उपभोग को बढ़ाने में मदद की है. साथ ही, उद्योग जगत ने जीएसटी के लाभ को अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचाया है. सूत्रों के अनुसार, समीक्षा अवधि के जीडीपी निजी उपभोग के आंकड़े काफी समय बाद जारी किए जाएंगे, इसलिए जीएसटी कर योग्य मूल्य उपभोग का सबसे विश्वसनीय रियल-टाइम संकेतक माना जाता है. वर्तमान आंकड़े लगातार मांग के विस्तार का स्पष्ट संकेत देते हैं.
सरकार ने स्लैब की संख्या चार से घटाकर दो की
सितंबर में लागू हुए जीएसटी सुधारों के तहत, सरकार ने स्लैब की संख्या चार से घटाकर दो कर दी – पहले 5%, 12%, 18% और 28% थे, अब केवल 5% और 18% हैं. इसके अलावा, लग्जरी और सिन गुड्स पर 40% का टैक्स लगाया गया है, जबकि कई वस्तुओं पर सेस को घटाकर शून्य कर दिया गया.