6वें इंटरनेशनल एनर्जी कॉन्फ्रेंस और एग्ज़िबिशन के दौरान उद्योग विशेषज्ञों और प्रमुख नेताओं ने कहा कि भारत स्वच्छ और सतत गतिशीलता (सस्टेनेबल मोबिलिटी) की ओर लगातार प्रगति कर रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि देश का मुख्य लक्ष्य वैकल्पिक ईंधनों का उपयोग बढ़ाना, नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन देना और कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता को चरणबद्ध रूप से कम करना है.
वैकल्पिक ऊर्जा पर जोर
ह्यूंदै मोटर इंडिया के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट और ग्रुप हेड कॉर्पोरेट अफेयर्स, पुनीत आनंद ने कहा, ऑटोमोबाइल उद्योग नई तकनीकों को अपनाने में सबसे आगे है. उन्होंने बताया, “यह आयोजन वैकल्पिक ऊर्जा पर आधारित है. आज का सेशन क्लीनर मोबिलिटी के लिए नई तकनीकों पर था. प्रधानमंत्री पहले ही 2070 तक कार्बन न्यूट्रल बनने का लक्ष्य तय कर चुके हैं. अब सरकार और सभी ऑटोमोबाइल कंपनियां इस दिशा में मिलकर काम कर रही हैं.”
आनंद ने कहा कि उद्योग ने पहले ही CNG और इलेक्ट्रिक वाहनों में प्रगति की है. अब फोकस फ्लेक्स-फ्यूल और हाइड्रोजन आधारित वाहनों पर है. उन्होंने बताया कि इससे न केवल कच्चे तेल के आयात में कमी आएगी, बल्कि देश में उपलब्ध संसाधनों जैसे मक्का और गन्ने का उपयोग भी ऊर्जा उत्पादन में हो सकेगा.
भारी वाहनों के लिए LNG समाधान
त्रिवेणी इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रीज के वाइस चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर तरुण साहनी ने कहा कि स्वच्छ मोबिलिटी खासकर भारी वाहनों के लिए अहम है. उन्होंने बताया, “हमने ट्रकों के लिए LNG पर चर्चा की. इससे ट्रक चार गुना ज्यादा दूरी तय कर सकते हैं और यह उपभोक्ताओं और पर्यावरण दोनों के लिए बेहतर समाधान है.”
साहनी ने आगे कहा कि एथनॉल ब्लेंडिंग भी एक बड़ा कदम है. “E20 के बाद E27 और E100 तक जाने की तैयारी हो रही है. आने वाले समय में उपभोक्ता पेट्रोल पंप पर 100% एथनॉल या एथनॉल मिश्रित पेट्रोल खरीद पाएंगे. ऑटोमोबाइल कंपनियां इसके लिए तैयार हैं, अब केवल इसे लागू करने की जरूरत है.”
नवीकरणीय ऊर्जा पर फोकस
ब्लूपाइन एनर्जी के सीईओ नीरव नानावटी ने कहा कि भारत की नवीकरणीय ऊर्जा वृद्धि, लंबे समय के लक्ष्यों का अहम हिस्सा है. उन्होंने कहा, “यह सम्मेलन पावर सेक्टर के सभी पहलुओं और जेनरेशन, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन को साथ लाता है. लक्ष्य है प्रधानमंत्री के ‘विकसित भारत 2047’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को साकार करना.”
नानावटी ने नीतिगत सहयोग की भी मांग कीय उन्होंने कहा कि ट्रांसमिशन एक्सेस, डिस्ट्रीब्यूशन रेगुलेशंस और स्थिर नीति ढांचे की जरूरत हैय साथ ही घरेलू स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना जरूरी है ताकि भारत पूरी तरह आत्मनिर्भर बन सकेय यह सम्मेलन इस बात का संकेत है कि भारत स्वच्छ ऊर्जा और टिकाऊ मोबिलिटी की ओर मजबूती से कदम बढ़ा रहा है, और सरकार से लेकर उद्योग जगत तक सभी एक साझा लक्ष्य की ओर काम कर रहे हैं.