कॉफी बोर्ड के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, चालू FY25-26 की अप्रैल से सितंबर अवधि के दौरान भारत का कॉफी निर्यात मूल्य के लिहाज़ से 15% बढ़कर 1.05 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. जबकि, पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 91.8 करोड़ डॉलर था. रुपये के हिसाब से कॉफी निर्यात में 19% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो FY26 की पहली छमाही में 9,119.24 करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले वर्ष यह 7,678.74 करोड़ रुपये था. इसके साथ ही, निर्यातकों को प्रति टन कॉफी पर मिलने वाली औसत आय में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है. एक वर्ष पहले जहां यह 3.52 लाख रुपये प्रति टन थी, वहीं अब यह बढ़कर 4.71 लाख रुपये प्रति टन हो गई है जो 34% की वृद्धि को दर्शाता है.
भारत वर्तमान में दुनिया का 7वां सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक
चालू FY25-26 की पहली छमाही में भारत से कॉफी का शिपमेंट मूल्य के लिहाज से 24% बढ़कर 1.95 अरब डॉलर पर पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 1.57 अरब डॉलर था. हालांकि, जनवरी से सितंबर 2025 के बीच निर्यात की कुल मात्रा घटकर 2.96 लाख टन रह गई, जो पिछले वर्ष 3.34 लाख टन थी. भारत वर्तमान में दुनिया का सातवां सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक और 5वां सबसे बड़ा निर्यातक देश है. इस बीच, 1 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय कॉफी दिवस के अवसर पर केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को इंडिया-ईएफटीए प्रोस्पेरिटी समिट के दौरान भारतीय कॉफी के विविध स्वादों का आनंद लेते हुए देखा गया.
क्या बोले केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ?
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, अंतर्राष्ट्रीय कॉफी दिवस पर, मुझे इंडिया-ईएफटीए प्रोस्पेरिटी समिट के दौरान हमारी अपनी भारतीय कॉफी के विभिन्न स्वादों का आनंद लेने का अवसर मिला. उन्होंने आगे कहा कि इसकी समृद्ध सुगंध और स्वाद का कोई मुकाबला नहीं, यह इस बात की याद दिलाता है कि हमारी देसी कॉफी वाकई कितनी खास है. हम अपने कॉफी उत्पादकों की सफलता और इस क्षेत्र के निरंतर विकास की कामना करते हैं.
वाणिज्य सचिव ने क्या कहा ?
वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने इस सप्ताह अंतरराष्ट्रीय कॉफी दिवस के अवसर पर कॉफी बोर्ड द्वारा आयोजित कॉफी एक्सपीरियंस जोन एंड एक्सपो का उद्घाटन किया. वाणिज्य सचिव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतीय कॉफी सस्टेनेबल है और इसे जंगलों के साथ उगाया जाता है. उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में भारत से कॉफी का निर्यात दोगुना हो गया है. अग्रवाल ने कॉफी की खेती के क्षेत्र में अधिक विविधीकरण की आवश्यकता पर भी जोर दिया. उन्होंने निरंतर इनोवेशन और मूल्यवर्धन की आवश्यकता पर बल दिया और बताया कि मसालों की भूमि होने के नाते, भारत में कॉफी के क्षेत्र में इनोवेशन के अपार अवसर हैं.