भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 2025 में 7 प्रतिशत रहने का अनुमान: Moody’s

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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भारत की दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े जारी होने से पहले. रेटिंग एजेंसी मूडीज ने शुक्रवार को जारी अपने नवीनतम अनुमान में कहा है कि 2025 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर लगभग 7 प्रतिशत रह सकती है. वहीं. 2026 में जीडीपी ग्रोथ के 6.4 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना जताई गई है. एजेंसी के अनुसार. भारत की तेज विकास दर के पीछे घरेलू मांग में मजबूती और अर्थव्यवस्था की ठोस बुनियाद मुख्य कारण हैं. मूडीज ने अपने नोट में उल्लेख किया कि आने वाले वर्षों में भारत उभरते हुए बाजारों और एशिया-प्रशांत क्षेत्र की वृद्धि का नेतृत्व करने की स्थिति में रहेगा.

एशिया प्रशांत क्षेत्र में 2025 में औसत वृद्धि दर 3.6% रहने का अनुमान

एजेंसी का अनुमान है कि मजबूत उपभोग. निवेश और स्थिर नीतिगत माहौल भारत की आर्थिक गतिशीलता को और बढ़ावा देंगे. वैश्विक रेटिंग एजेंसी ने कहा कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में 2025 में औसत वृद्धि दर 3.6% रहने का अनुमान है और 2026 में यह 3.4% रह सकती है.

रेटिंग एजेंसी के मुताबिक. उभरते हुए बाजार रीजन में जीडीपी ग्रोथ को आगे बढ़ाएंगे और इन बाजारों की औसत वृद्धि दर 5.6% रहने का अनुमान है. सितंबर में. मूडीज रेटिंग्स ने भारत की लॉन्ग-टर्म लोकल और फॉरेन करेंसी इश्यूअर रेटिंग. साथ ही लोकल करेंसी सीनियर अनसिक्योर्ड रेटिंग को Baa3 स्तर पर बनाए रखा.

भारत के लिए अपना आउटलुक भी स्थिर रखा

वैश्विक रेटिंग एजेंसी ने भारत के लिए अपना आउटलुक भी स्थिर रखा. जो बताता है कि आने वाले समय में देश की क्रेडिट प्रोफाइल में किसी बड़े नकारात्मक बदलाव की उम्मीद नहीं है. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अमेरिका द्वारा भारत पर उच्च टैरिफ लगाने से निकट भविष्य में भारत की आर्थिक वृद्धि पर सीमित नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

रेटिंग एजेंसी ने कहा. टैरिफ मध्यम से लंबी अवधि में संभावित विकास को बाधित कर सकता है. क्योंकि इससे भारत की उच्च मूल्यवर्धित निर्यात विनिर्माण क्षेत्र विकसित करने की महत्वाकांक्षाओं में बाधा आ सकती है. नोट के अनुसार. भारत की ऋण क्षमता. राजकोषीय पक्ष की दीर्घकालिक कमजोरियों से संतुलित है. जो बनी रहेंगी.

उच्च ऋण भार में केवल मामूली कमी आने की संभावना

मजबूत जीडीपी वृद्धि और धीरे-धीरे हो रहे राजकोषीय समेकन के बावजूद सरकार के उच्च ऋण भार में केवल मामूली कमी आने की संभावना है. मूडीज के अनुसार. यह कमी ऋण वहन क्षमता में ठोस सुधार लाने के लिए पर्याप्त नहीं होगी. विशेषकर इसलिए क्योंकि हाल ही में निजी उपभोग बढ़ाने के लिए उठाए गए राजकोषीय कदमों ने सरकार के राजस्व आधार को कमजोर किया है. इससे दीर्घकालिक वित्तीय स्थिति पर दबाव बना रह सकता है.

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