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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
भारत में घरेलू मांग मजबूत रहने के कारण मेटल और माइनिंग सेक्टर के शेयरों का भविष्य सकारात्मक माना जा रहा. गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, ये शेयर वैश्विक मेटल कंपनियों की तुलना में आगे भी प्रीमियम वैल्यूएशन प्राप्त करते रहेंगे. एचएसबीसी ग्लोबल रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि प्रचुर संसाधन भंडार और अनुकूल नियामक नीतियों ने इस सेक्टर के प्रदर्शन को मजबूती दी. रिपोर्ट के मुताबिक, इस वर्ष मेटल और माइनिंग उद्योग ने शानदार परिणाम दिए और आने वाले समय में भी इसके अच्छे प्रदर्शन की संभावना मजबूत बनी हुई.
रिपोर्ट में कहा गया, यह शहरीकरण और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च से प्रेरित मजबूत, टिकाऊ मांग का परिणाम है. देश के विशाल लौह अयस्क, कोयला, बॉक्साइट और जस्ता भंडार भारतीय कंपनियों को वैश्विक स्तर पर सबसे कम लागत वाले उत्पादक बनाते हैं और सहायक नियामक नीतियां विशेष रूप से चीन से कम लागत वाले आयातों से सुरक्षा प्रदान करती हैं. रिसर्च फर्म ने कहा कि चीन की कैपेसिटी कैप और ग्लोबल डिमांड में स्थिरता की वजह से एल्युमिनियम उसकी पहली पसंद है.
बयान में यह भी कहा गया कि चांदी के लिए उनका नजरिया सकारात्मक है और बढ़ती मांग के कारण कीमतों में मजबूती रहने की संभावना है. भारत दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाला स्टील मार्केट है, लेकिन मांग का मौसमी (सीज़नल) होना और चीन में स्टील उत्पादन में कमी के कारण स्टील स्टॉक्स को अधिक साइक्लिकल माना गया. इसके अलावा, एचएसबीसी ने कई प्रमुख भारतीय एल्युमिनियम स्टॉक्स को बाय रेटिंग के साथ कवरेज देना भी शुरू कर दिया.
रिपोर्ट में प्रीमियम वैल्यूएशन को सपोर्ट करने के लिए पॉजिटिव फैक्टर्स का जिक्र किया गया है, जैसे कि भारतीय मेटल्स और माइनिंग स्टॉक्स की बड़े मार्केट्स के हिसाब से री-रेटिंग की गई. बैलेंस शीट्स काफी मजबूत हैं क्योंकि कंपनियों ने डीलेवरेज किया और लॉन्ग-टर्म आउटलुक अच्छा है क्योंकि जीडीपी ग्रोथ में मेटल की मांग बढ़ रही. हालांकि, एचएसबीसी ने चेतावनी दी है कि चीन या अमेरिका में मंदी, वैश्विक आर्थिक वृद्धि में तेज गिरावट और मजबूत अमेरिकी डॉलर जैसी परिस्थितियों से जोखिम बढ़ सकता है. इन कारकों के कारण कंपनियों पर कैश फ्लो का दबाव बढ़ सकता है.