India-New Zealand FTA: भारत और न्यूजीलैंड के बीच हाल ही में हुए ‘फ्री ट्रेड एग्रीमेंट’ ने सरकार के साथ-साथ देश के उद्योग जगत में भी उत्साह और उम्मीदें बढ़ा दी हैं. उद्योग जगत के विशेषज्ञों और बड़े व्यापारिक संगठनों के अनुसार, यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और दूरगामी कदम है. इसे सिर्फ एक व्यापारिक समझौता नहीं, बल्कि ‘अगली पीढ़ी’ का आधुनिक और रणनीतिक करार माना जा रहा है.
क्यों खुश है भारत का बिजनेस वर्ल्ड?
FICCI और पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स जैसे प्रमुख व्यापारिक निकायों ने इस समझौते का खुले दिल से स्वागत किया है. उद्योग जगत का मानना है कि यह डील केवल निर्यात को बढ़ावा नहीं देगी, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की आर्थिक पकड़ को भी और मजबूत करेगी. फिक्की के अध्यक्ष अनंत गोयनका ने इस पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत का वैश्विक व्यापारिक दबदबा बढ़ रहा है. उन्होंने कहा, “यह करार इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के साथ हमारे आर्थिक जुड़ाव को गहरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इससे दोनों देशों के व्यवसायों के लिए विकास के नए द्वार खुलेंगे.”
जीरो ड्यूटी और MSME को बूस्ट
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष राजीव जुनेजा ने इसे भारत की लॉन्ग-टर्म विजन वाली साझेदारी बताया. उन्होंने एक बहुत पते की बात कही कि इस डील के जरिए भारतीय निर्यात को 100% जीरो-ड्यूटी मार्केट एक्सेस मिलेगा. इसका सीधा मतलब यह है कि भारत से न्यूजीलैंड जाने वाले सामान पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, जिससे हमारे छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) और ज्यादा लेबर वाले सेक्टरों को बहुत फायदा होगा.
वहीं, संस्था के सीईओ रणजीत मेहता ने जोर देकर कहा, यह ‘नेक्स्ट जनरेशन’ डील है. इसमें सिर्फ सामान का लेन-देन नहीं है, बल्कि ‘टैलेंट मोबिलिटी’ यानी पेशेवरों और छात्रों के आने-जाने की सुगमता पर भी ध्यान दिया गया है. खेती-किसानी को लेकर भी इसमें सुरक्षा कवच रखे गए हैं, ताकि किसानों के हितों को नुकसान पहुंचाए बिना तकनीक का आदान-प्रदान हो सके.
नौ महीने में समझौता
फिक्की के पूर्व अध्यक्ष शुभ्रकांत पांडा ने इस बात पर हैरानी और खुशी व्यक्त की कि इतना बड़ा समझौता केवल 9 महीनों में पूरा हो गया. उन्होंने इसे ‘ट्रेड डिप्लोमेसी’ का उत्कृष्ट उदाहरण बताया. उनके अनुसार, शिक्षा, कौशल विकास और लोगों के आपसी संपर्क से यह साझेदारी आने वाले समय में और भी अधिक लाभदायक साबित होगी.
भविष्य की चुनौतियां
हालांकि, ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने एक संतुलित नजरिया भी पेश किया है. उनका कहना है कि वित्त वर्ष 2025 में दोनों देशों का आपसी व्यापार करीब 2.1 बिलियन डॉलर रहा है, जो बहुत बड़ा नहीं है. इसलिए यह समझौता ‘वॉल्यूम’ से ज्यादा ‘रणनीतिक’ महत्व रखता है. इस समझौते की असली सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि हम अपनी सप्लाई चेन को कितना मजबूत बनाते हैं और न्यूजीलैंड में बसे भारतीय समुदाय से इस व्यापार में कितना सहयोग प्राप्त होता है.

